Hindi, asked by sanjanasangwan, 6 months ago

फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है,कैसे ?

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वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परन्तु मन से संन्यासी नहीं थे

वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे और मन से भी संन्यासी थे

सभी सन्यासियों जैसे थे और उनके रास्तों पर चलते थे

फादर बुल्के एक विदेशी होते हुए संन्यासी

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे? फ़ादर बुल्के अपनी वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परंतु वे मन से संन्यासी नहीं थे। वे विशेष संबंध बनाकर नहीं रखते परंतु फादर बुल्के जिससे रिश्ता बना लेते थे उसे कभी नहीं तोडते थे।

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