Hindi, asked by luckygyanani21p6pucj, 11 months ago

फादर कामिल बुल्के का स्मरण करते हुए लेखक अपने और फादर के परिमल के जमाने के दिनों को कैसे याद करता है​

Answers

Answered by dubeyshivansh042678
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Answer:

लेखक के लिए सादर बुल्के को याद करना एक उदास शांत गीत को सुनने के समान था। फादर बुल्के व्यवहार में बहुत सीधे और स्पष्ट बोलने वाले व्यक्ति थे उन्हें हिंदी से बहुत प्रेम था । अगर कोई हिंदी की बुराई करता दिखता तो वे उसे आकार के तर्क दिया करते थे। उनके तर्कों का किसी के पास जवाब नहीं होता था और वहां खामोशी छा जाती थी। फादर बुल्के की पढ़ाई में खास रुचि थी उन्होंने कोलकाता में b.a. किया और फिर इलाहाबाद में m.a. की । बाद में वे संस्कृत हिंदी विभाग के सबसे बड़े विभाग अध्यक्ष बन गए।

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