फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यु लगती है ?
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सर के ऊपर पिता की हाथ
पिता का मोल उनसे पूछो, जिनके पिता नहीं हैं । मां का प्यार जितना दिल को सहरा देता है, उससे कहीं अधिक पिता का आश्रय से आपके तन-मन-धन को सहारा मिलता है । पिता का अभाव बच्चे को पल-पल सूनापन का एहसास दिलाता है । पिता दुनिया के हर अच्छे बुरे समय, लोग, जगह से न केवल अवगत कराता है बल्कि ऐसी हरेक बलायें से हमें दूर रखता है ।
दुनिया में मां आंचल तो सिर्फ बुरी से बचाने के काम करती है, परंतु पिता का शाया हर उन बुरी दशाओं से बचाव करती है, जो उसके बच्चे के लिए अहितकर हो; ठीक उस घने देवदार की वृक्ष की भांति , जो उस वृक्ष की छत्रछाया में रहने वाले को बारिश, गर्मी, धूप से न केवल बचाता है, बल्कि उसे आक्सीजन, हरी पत्ते, जलावन इत्यादि उपयोगी वस्तुएं भी प्रदान करती है ।
जब तेज चिलचिलाती धूप हो तो निगाहें छाया ढूंढने लगती है । हम छायादार पेड़ कोआस लगाने लगते है । गर्मी से हाल बेहाल हो जाता है । कई बार तो मृत्यु की नौबत तक आ जाती है । प्यास से गला सूखने लगता है । परंतु अगर कोई पास में पेड़ मिल जाता है तो न केवल ठंडक मिलती है अपितु छाया में कुछ देर के लिए पानी न मिले तो भी राहत मिल जाती है । और ऐसे ही वृक्ष होते है पिता ।
पिता की डाट आशीर्वाद होती है । उनका प्यार अंदर होता है जो साधारण आखों से नहीं दिखती है । इसके लिए एक पिता की आँख की आवश्यकता पड़ती है और ये आँख तब मिलती है, जब हम पिता या पिता समान बन जाते हैं । और उनका महत्व तब पता चलता है, जब अपने आस-पास पिता को नहीं देख पाते हैं । ठीक वैसे ही जैसे हम हर दिन देवदार के वृक्ष के आसपास से गुजर कर भी उस पर ध्यान नहीं देते, परंतु जब वो वृक्ष वहाँ नहीं रहता तो अनायास ही उसके नहीं होने का आहसास हो जाता है ।
माता-पिता को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है । एक और कहावत प्रचलित है कि देवता सब के साथ एक ही समय एक साथ मौजूद नहीं रह सकता , इसलिए उसने मां -बाप बनाया ।
देवता आर्थात देने वाला । पिता बिन कुछ मांगे ही हमें सब जरूरी चीजें हमें प्रदान करते है । अगर कुछ मांगे दें तो अपने सामर्थ्य के हिसाब से अपनी जान तक देने के लिए हरदम तत्पर रहते हैं , ठीक वो देवदार की वृक्ष की भांति । जो समय आने पर स्वतः ही अपने पत्ते, लकड़ियां हमें प्रदान करते हैंं । हमें आक्सीजन, छाया और ठंडक पानी देना तो उनकी नियती ही है ।
हमें ऐसे अपने इन देवदार के वृक्ष से अपने अमूल्यवान मां-बाप का हमेशा ख्याल रखना चाहिए । हम हजारों जन्म लेकर भी उनके कर्ज नहीं अदा कर सकते । परंतु उनका ख्याल रख कर हम इस कर्ज के भार को न केवल कम कर सकते है, बल्कि उनकी चेहरों पर हर दिन वेलेंटाइन का मुस्कान बिखेर सकते हैंं ।
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*****दुनिया के सभी मां-बाप को श्रीकांत का चरणस्पर्श *****
अगर लेख अच्छा लगे तो कृपया इसे ब्रेनलिस्ट बनायें ।
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