फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी
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फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी इसीलिए लगती थी क्योंकि फ़ादर बुल्के एक लंबे चौड़े देवदार के वृक्ष की तरह ही छाया देते थे। वे जिससे भी मिलते उसे कभी भूलते नहीं थे। और वे गुणों से परिपूर्ण थे। वे परिमल के पारिवारिक संबंधों जैसे कुछ भी हँसी मजाक हो , चाहे किसी लेखक की रचना के बारे में बातें हो या किसी के घर का उत्सव हो वे हमेशा एक बड़े भाई या पुरोहित की तरह सब को आशीर्वाद देते थे।
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देवदार की छाया शीतल और मन को शांत करने वाली होती है फादर लेखक तथा उनके साथियों के साथ हंसी मजाक में घुलमिल कर रहे थे तथा उनके खुशी दुख में भी उनके साथ रहते तथा सदेव उनको एक बड़े भाई जैसे सलाह देते जिस कारण लेखक उन्हें देवदार की छाया जैसे लगती है
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