फादर कावमल बुल्केका वहोंदी भाषा केप्रवत प्रेम को स्पष्ट कीवजए।
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फादर कामिल बुल्के बेल्जियम के रहने वाले थे उन्होंने सन्यासी बन कर भारत में आकर रहने का निर्णय लिया था भारत आकर उन्होंने भारतीय संस्कृति को गहराई से समझा। ईसाई धर्म से संबंधित होते हुए भी उन्होंने हिंदी भाषा को सीखा और पढा। उन्होंने रामायण विषय को लेकर शोध प्रबंध लिखा । फादर कामिल बुल्के को भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा के प्रति अधिक लगाव था। उन्होंने अंग्रेजी हिंदी कोश का निर्माण भी किया उनका शोध प्रबंध हिंदी में था। उन्होंने धार्मिक ग्रंथ ' बाइबिल ' का अनुवाद हिंदी में किया वह सदा हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने की चिंता में रहते थे इसके लिए उन्होंने अनेक प्रयास किया और अकाट्य तर्क भी प्रस्तुत किए। उन्हें उन्हें उन हिंदी भाषी लोगों पर झनझनाहट होती थी जो हिंदी जानते हुए भी हिंदी का प्रयोग नहीं करते थे । इन सब बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि फादर कामिल बुल्के को हिंदी के प्रति प्रेम था