फादर संकल्प से संन्यासी थे, मन से संन्यासी नहीं थे। इस पंक्ति द्वारा लेखक क्या बताना चाहता है?
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फ़ादर बुल्के एक सन्यासी थे, वे चोगा पहनते थे, लोगों की सहायता करते थे तथा सभी मानवीय गुणों का पालन करते थे। परन्तु सन्यासी जीवन के परंपरागत गुणों से अलग भी इनकी भूमिका रही है; जैसे – इन्होंने सन्यास ग्रहण करने के पश्चात् अपना अध्ययन जारी रखा, कुछ दिनों तक ये कालेज में भी पढ़ाते रहे तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। इसलिए फ़ादर बुल्के की छवि परंपरागत सन्यासियों से अलग है और इसी तरह वे केवल संकल्प से संन्यासी थे।
फादर संकल्प से सन्यासी थे, मन से नहीं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि फादर बुल्के भारतीय सन्यासी प्रवृत्ति खरे नही उतरते थे। उन्होंने परंपरागत सन्यासी प्रवृत्ति से अलग एक नई परंपरा को स्थापित किया था। वह सन्यासियों जैसा प्रदर्शन नहीं करते थे, लेकिन अपने कर्मों से वह सन्यासी ही थे।
वह अपनी आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से कॉलेज में अध्ययन और अध्यापन का कार्य करते थे और अपने प्रयोजनों के प्रति भी मोह रखे थे। हालांकि वह बेल्जियम स्थित अपने घर से दूर ही थे, लेकिन संकट के समय में अपने घर आते-जाते रहते थे और अपने परिवार के लोगों को सांत्वना देते थे।