falo ki Chaupal conclusion
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ताइए, सर्दी के दि
मूली- (आम की तरफ़ देजवाब दीजिए ।
(एक छोटा-सा बच्चा, जो अंगूर का मुखौटा पहने है , पीछे से उठकर आगे आता है । वह आम की तरफ हाथ जोड़कर नमस्कार करता है ।)
अंगूर- वैसे तो श्रीमान केला जी हमारे बुजुर्ग हैं, वह जो चाहें सो कहें, लेकिन सच्चाई यही है सरकार कि गुणों के मामले में मेरा कोई जवाब नहीं । मैं देखने में जितना छोटा हूँ , उतना ही अधिक फायदेमंद हूँ । विटामिन "ए ", विटामिन "बी", विटामिन "सी", प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्सियम, फॉस्फोरस , लोहा आदि मनुष्य के लिए उपयोगी भला कौन -से ऐसे तत्व हैं, जो मुझमें नहीं हैं ? तभी तो शरीर में खून बढ़ाने , खून की सफ़ाई करने, पाचन क्रिया ठीक करने, नेत्र -ज्योति बढ़ाने आदि में मेरी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । कमज़ोर और रोगी लोगों के लिए तो मैं अति उपयोगी हूँ ।
केला- (अंगूर की बात काटते हुए ) अपने ही मुँह से अपने गुणों का बखान आप बहुत कर चुके। हम मानते हैं अंगूर राम की आप बहुत गुणवान फल हैं , लेकिन क्या यहाँ सत्य नहीं है कि आप को खाने से कई लोग पेट की गड़बड़ी के शिकार हुए हैं ।
अंगूर- आपका आरोप बिलकुल सच है , लेकिन लोगों के बीमार होने में मेरी रत्तीभर भी गलती नहीं है । होता यह है कि ठेलेवाले मुझे खुला लेकर बेचा आकृति हैं । मेरे ऊपर तमाम धूल और गन्दगी पड़ती रहती है तथा मक्खियाँ भिनभिनाती रहती हैं, लेकिन मुझको खरीदने वाले इतना भी कष्ट नहीं करते कि खाने से पहले ठीक से धो लें । बस खरीदा और फटाफट खाने लगे । ऐसे में अगर वे बीमार पड़ते हैं , तो फिर मेरा क्या दोष? एक दूसरी बात भी है । मुझको डाल पर से कच्चा ही तोड़ लिया जाता है और कार्बाइड आदि गैसों द्वारा मुझको पकाया जाता है । इन गैसों का कुछ अवशेष मेरी चमड़ी पर रह जाता है , जो लोगों को नुकसान पहुंचाता है ।
सेब- (आम की तरफ देखकर) हम सभी फलों की स्थिति लगभग एक जैसी ही है, महाराज! अधिकांश लोग हमें खाने का सही तरीका ही नहीं जानते, इसीलिए हम लोग चाहते हुए भी उतना अधिक फ़ायदा नहीं पहुंचा पाते जितना पहुंचाना चाहिए, बल्कि कभी-कभी तो उलटे उन्हें फायदे की जगह नुकसान हो जाता है । उदाहरण के लिए, मुझको ही लीजिए । खनिज, लवण और विटामिनों की मैं खान हूँ , गुणों का मैं खज़ाना हूँ । मेरे बारे में तो यहाँ तक कहा गया है कि जो व्यक्ति रोज़ एक सेब खाए उसे कभी डॉक्टर के यहाँ जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती, लेकिन बहुत-से ऐसे लोग हैं , जो खाने से पहले मेरी चमड़ी यानी छिलका उतार देते हैं । मेरे छिलके के ठीक नीचे विटामिन "सी'और "ए " होता है, जो छिलका उतारने पर नष्ट हो जाता है। लोगों को चाहिए कि मुझे छिलके सहित ही खाएं ।
आम- आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं , सेब जी ! आप सबकी बातों से यही निष्कर्ष निकलता है कि लोगों को चाहिए की खाने से पहले फलों को खूब अच्छी तरह से धो लें । कुछ फलों की तासीर गर्म होती है, जैसे मैं खुद हूँ । अत: लोगों को चाहिए कि खाने से पहले हमें कुछ देर तक पानी में भिगोए रखे। तीसरी बात यह है कि कुछ फलों जैसे - अमरूद , नाशपाती, सेब आदि को उनके छिलके सहित खाना चाहिए। छिलके उतारने से फलों के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते है। अच्छा भाइयों, सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद! अब सभा विसर्जित की जाती है ।
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फलों की चौपाल कहानी का मुख्य भाव बच्चों द्वारा दर्शाया गया है बच्चों ने इस कहानी को एक अलग ही मोड पर दर्शाया
फलों की चौपाल
इस कहानी में
- एक लड़का है जो आम बना है
- दूसरा लड़का सेब बना है
- तीसरा अंगूर
- चौथा मूली
- पांचवा गाजर
- छठवां अंगूर
- सातवां केला
लगभग 7 बच्चों का इस कहानी में मुख्य रोल रहा है
मूली का गाजर दोनों ने अच्छा रोल निभाया है।।।।।।।