Hindi, asked by tulidebnath1983, 5 months ago

Faltu answer ko report Agar aata ha to likh
उदाहरण देकर अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) कर्म कारक-अपादान कारक
(ख) करण कारक-संप्रदान कारक​

Answers

Answered by mohit810275133
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Explanation:

HEY MATE .......

जिस व्यक्ति या वस्तु पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं। इसका चिन्ह को माना जाता है। लेकिन कहीं कहीं पर कर्म का चिन्ह लोप होता है।

बुलाना , सुलाना , कोसना , पुकारना , जमाना , भगाना आदि क्रियाओं के प्रयोग में अगर कर्म संज्ञा हो तो को विभक्ति जरुर लगती है। जब विशेषण का प्रयोग संज्ञा की तरह किया जाता है तब कर्म विभक्ति को जरुर लगती है। कर्म संज्ञा का एक रूप होता है।कर्म कारक का उदाहरण

(i) अध्यापक , छात्र को पीटता है।

(ii) सीता फल खाती है।

अपादान कारक :

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी वस्तु के अलग होने का बोध हो वहाँ पर अपादान कारक होता है। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलग होना , उत्पन्न होना , डरना , दूरी , लजाना , तुलना करना आदि का पता चलता है उसे अपादान कारक कहते हैं। इसका विभक्ति चिन्ह से होता है। इसकी पहचान ‘किससे’ जैसे प्रश्नवाचक शब्द से भी की जा सकती है।अपादान कारक का उदाहरण

(i) पेड़ से आम गिरा।

(ii) हाथ से छड़ी गिर गई।

सम्प्रदान कारक:

सम्प्रदान कारक

:-सम्प्रदान कारक का अर्थ होता है – देना। जिसके लिए कर्ता काम कर्ता है उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। सम्प्रदान कारक के विभक्ति चिन्ह के लिए और को होता है। इसको किसके लिए प्रश्नवाचक शब्द लगाकर भी पहचाना जा सकता है।

समान्य रूप से जिसे कुछ दिया जाता है या जिसके लिए कोई कार्य किया जाता है उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं।सम्प्रदान कारक का उदाहरण

(i) गरीबों को खाना दो।

(ii) मेरे लिए दूध लेकर आओ।

करण कारक :

जिस साधन से क्रिया होती है उसे करण कारक कहते हैं। इसका विभक्ति चिन्ह से और के द्वारा होता है। जिसकी सहायता से कोई कार्य किया जाता है उसे करण कारक कहते हैं। करण कारक का क्षेत्र बाकी कारकों से बड़ा होता है।करण कारक का उदाहरण

(i) बच्चे गेंद से खेल रहे हैं।

(ii) बच्चा बोतल से दूध पीता है।

Answered by shraddhad524
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Answer:

जिस पर क्रिया (काम) का फल पड़े, ‘कर्म कारक‘ कहलाता है।”

जैसे–तालिबानियों ने पाकिस्तान को रौंद डाला।

सुन्दर लाल बहुगुना ने ‘चिपको आन्दोलन’ चलाया।

इन दोनों वाक्यों में ‘पाकिस्तान’ और ‘चिपको आन्दोलन’ कर्म हैं; क्योंकि ‘रौंद डालना’ और ‘चलाना’ क्रिया से प्रभावित हैं।

कर्म कारक का चिह्न ‘को’ है; परन्तु जहाँ ‘को’ चिह्न नहीं रहता है, वहाँ कर्म का शून्य चिह्न माना जाता है। जैसे

वह रोटी खाता है।

भालू नाच दिखाता है।

इन वाक्यों में ‘रोटी’ और ‘नाच’ दोनों के चिह्न–रहित कर्म हैं–

वाक्य में जिस साधन या माध्यम से क्रिया का सम्पादन होता है, उसे ही ‘करण–कारक‘ कहते हैं।”

अर्थात् करण कारक साधन का काम करता है। इसका चिह्न ‘से’ है, कहीं–कहीं ‘द्वारा’ का प्रयोग भी किया जाता है।

जैसे–

चाहो, तो इस कलम से पूरी कहानी लिख लो।

पुलिस तमाशा देखती रही और अपहर्ता बलेरो से लड़की को ले भागा।

छात्रों को पत्र के द्वारा परीक्षा की सूचना मिली।

कर्ता कारक जिसके लिए या जिस उद्देश्य के लिए क्रिया का सम्पादन करता है, वह ‘सम्प्रदान कारक‘ होता है।

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