फणीश्वर नाथ रेणु की रचना धर्मिता पर प्रकाश डालिए
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इनकी लेखन शैली वर्णनात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक फौज का विवरण लुभावने तरीके से किया होता है। पात्रों का चरित्र निर्माण काफी तेजी से होता था क्योंकि पात्र एक सामान्य सरल मानव मन के अतिरिक्त और कुछ नहीं होता था lइनकी लगभग हर कहानी में छात्रों की सोच घटनाओं से प्रधान होती थी l
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