फरै कि कोदव बालि सुसाली। मुकता प्रसव कि संबुक काली।" पंक्ति में छिपे भाव को
स्पष्ट कीजिए।
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भाव सौंदर्य. प्रस्तुत पंक्ति में भाव है कि जिस प्रकार मोटे चावल (कोदे) की बाली में उत्तम चावल नहीं उगाता है और तालाब में मिलने वाले काले घोंघे मोती उत्पन्न नहीं कर सकते हैं, वैसे ही यदि मैं अपनी माँ पर कलंक लगाऊ और स्वयं को साधु बताऊँ तो यह संभव नहीं है। 7206527056
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