Environmental Sciences, asked by apnipathshala5, 21 days ago

फसल की किस्मों में सुधार हेतु तीन कारकों को स्पष्ट कीजिए



फसलों की किस्मों में सुधार हेतु तीन कारक

फसलों में अंतर स्पीशीज करण किया जाता है जिससे फसलों में सुधार होता है

धन्यवाद आपका सधन्यवाद मेरी पोस्ट पढ़ने के लिए आप लोग बहुत ही प्रिय है मेरे लिए आप लोग पशुओं के बारे में जाओ और अधिक जानना चाहती है तो मेरी यूट्यूब चैनल पर विजिट कीजिए toppers solution वशी​

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Answered by bhattpanditpramod
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Explanation:

01__फसल की किस्मों में सुधार हेतु तीन कारकों को स्पष्ट कीजिए

02__फसलों की किस्मों में सुधार हेतु तीन कारक

फसलों की किस्मों में सुधार की आवश्यकता - मानव और पशुओं में निरंतर बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान्न, चारा, रेशा, चीनी और तेल आदि की माँग बढ़ती जा रही है, परंतु भू-संसाधन सीमित होने के कारण बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति फसलों की उत्पादकता बढ़ाने से संभव हो सकती है। अतः फसल सुधार अर्थात् किस्म सुधार के द्वारा बढ़ती माँग को पूरा किया जा सकता है।फसलों की किस्मों में सुधार के उद्देश्य -

(1) अधिक उपज लेने के लिए किस्म सुधार की आवश्यकता है।

(2) उत्तम गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त करने के लिए इसकी आवश्यकता होती है, जैसे दालों में प्रोटीन की मात्रा, फलों व सब्जियों में परिरक्षण की गुणवत्ता, तिलहन में तेल की गुणवत्ता आदि।

(3) फसलों में रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने के लिए किस्म सुधार की आवश्यकता है।

(4)अगेती और समान परिपक्वता के लिए कुछ लंबी अवधि वाली फसलों में गुण विकसित करने के लिए किस्म सुधार आवश्यक है।

(5) फसलों में प्रकाश एवं ताप असंवेदनशीलता का गुण फसल किस्म सुधार से किया जा सकता है। इन कारकों के प्रति असंवेदी किस्मों के विकास से खेती की सीमाएँ बढ़ाई जा सकती हैं।

(6) किस्म सुधार से फसलों में ऐच्छिक गुण, जैसे चारे वाली फसलों में लंबाई, अधिक फुटाव का गुण, कुछ धान्य फसलों में बौनापन का गुण, फलों में मिठास का गुण आदि विकसित किए जा सकते हैं।

(7) फसलों में व्यापक अनुकूलता वाली किस्मों का विकास कर, पर्यावरण की विभिन्न परिस्थितियों में फसल उत्पादन में स्थायीपन लाया जा सकता है।

02__फसलों में अंतर स्पीशीज करण किया जाता है जिससे फसलों में सुधार होता है

फसल या सस्य किसी समय-चक्र के अनुसार वनस्पतियों या वृक्षों पर मानवों व पालतू पशुओं के उपभोग के लिए उगाकर काटी या तोड़ी जाने वाली पैदावार को कहते हैं।

मसलन गेंहू की फ़सल तब तैयार होती है जब उसके दाने पककर पीले से हो जाएँ और उस समय किसी खेत में उग रहे समस्त गेंहू के पौधों को काट लिया जाता है और उनके कणों को अलग कर दिया जाता है। आम की फ़सल में किसी बाग़ के पेड़ों पर आम पकने लगते हैं और, बिना पेड़ों को नुक्सान पहुँचाए, फलों को तोड़कर एकत्रित किया जाता है।

भारत के पंजाब राज्य के एक ग्रामीण घर में सूखती फ़सल

जब से कृषि का आविष्कार हुआ है बहुत से मानवों के जीवनक्रम में फ़सलों का बड़ा महत्व रहा है। उदाहरण के लिए उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल में रबी की फ़सल और ख़रीफ़ की फ़सल दो बड़ी घटनाएँ हैं जो बड़ी हद तक इन क्षेत्रों के ग्रामीण जीवन को निर्धारित करती हैं। इसी तरह अन्य जगहों के स्थानीय मौसम, धरती, वनस्पति व जल पर आधारित फ़सलें वहाँ के जीवन-क्रमों पर गहरा प्रभाव रखती हैं।

Answered by payalchatterje
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Answer:

कई रास्ते हैं

Explanation:

1. समय पर तैयारी और सीडिंग ऑपरेशन

2. पर्याप्त फसल स्टैंड की स्थापना (जनसंख्या)

3. प्रभावी निराई संचालन

4. प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करना

5. वैकल्पिक भूमि-उपयोग को नियोजित करना

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