फसलों की उपज में सुधार हेतु महत्त्वपूर्ण सुझाव दीजि
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दुनियाभर में आबादी लगातार बढ़ रही है और वर्ष 2050 तक इसके लगभग 9.2 अरब होने की सम्भावना है। पृथ्वी पर बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्य आपूर्ति के लिए, उत्पादन को भी समान रूप से बढ़ाना होगा। मनुष्य मूलतः कृषि पर निर्भर रहता है, और इसलिए कृषि का विकास एक चिंतनीय विषय है। कृषि उत्पादन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य मनुष्यों के लिए भोजन और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध करना है। कृषि मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मूलभूत आधार है। कृषि जब नकद या निर्वाह अर्थव्यवस्था के लिए लगातार उत्पादन कर पाएगी, तब कृषि को ‘टिकाऊ’ कहा जाएगा। यह विचारणीय है कि कृषि योग्य भूमि का अधिकतम उपयोग होने के बावजूद भी, खाद्य आपूर्ति अधूरी है। अतः कृषि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रगति, मुख्यतः पादप आनुवंशिक इंजीनियरिंग, फसल उत्पादकता में सुधार के लिए उपयुक्त हो सकती है।
क्लोरोप्लास्ट इंजीनियरिंग
क्लोरोप्लास्ट इंजीनियरिंग एक नई तकनीक के रूप में उभरी है और कई क्षेत्रों में केन्द्रीय इंजीनियरिंग से बेहतर भी है। क्लोरोप्लास्ट इंजीनियरिंग को क्लोरोप्लास्ट रूपांतरण प्रौद्योगिकी के रूप में भी जाना जाता है और यह वर्तमान परिदृश्य में बहुत लोकप्रिय है। महत्त्वपूर्ण स्रोतों में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए क्लोरोप्लास्ट रूपांतरण प्रौद्योगिकी के माध्यम से विभिन्न जीनोम से 130 अतिरिक्त जीनों को सम्मिलित किया गया है। तम्बाकू, चावल, जौ, मक्का, गाजर, पाइन, आलू, सूरजमुखी और कपास सहित महत्त्वपूर्ण पौधों में सफलतापूर्वक क्लोरोप्लास्ट इंजीनियरिंग से जीन स्थानांतरण किया गया है। शोधकर्ता विभिन्न जैविक और अजैविक तनाव जैसे-कीट, विषाणु, फफूंदी और जीवाणु जनित रोगजनकों, अनेक प्रकार के शाकनाशियों, सूखे, ठंड और लवण सहनशीलता हेतु फसल में प्रतिरोध विकसित करने के लिए क्लोरोप्लास्ट रूपांतरण प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।
क्लोरोप्लास्ट जीनोम
क्लोरोप्लास्ट, कोशिका द्वारा उपयोग किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण रासायनिक घटकों के निर्माण और भंडारण का प्रमुख स्थान है। क्लोरोप्लास्ट, शर्करा, स्टार्च, जटिल कार्बनिक यौगिकों और अमीनो अम्लों जैसे कई जैविक अणुओं का निर्माण स्थल है। नाइट्रेट को अमोनियम में परिवर्तित करना और क्लोरोप्लास्ट प्रोटीन को इकट्ठा करना इसके अतिरिक्त कार्यात्मक गुण हैं।
क्लोरोप्लास्ट और शैवाल की कोशिकाओं की उत्पत्ति प्रकाश संश्लेषक जीवाणुओं से हुई है। क्लोरोप्लास्ट में 100-250 जीनों के साथ वृत्तीय जीन की कई प्रतियां हैं। इसका जीनोमिक आकार अलग-अलग प्रजातियों में भिन्न-भिन्न होता है, उदाहरणस्वरूप, कैथाया आर्जिरोफीला में 107 किलो बेस से लेकर पेलार्गेनियम में 218 किलो बेस तक होता है और यह एंजियोस्पर्म पौधों में मातृ वंशानुक्रम का पालन करता है। प्रति कोशिका जीनोम की कॉपी संख्या कोशिका की आयु पर निर्भर करती है, जो 1000 से लेकर 10,000 तक हो सकती है। क्लोरोप्लास्ट जीनोम के विभिन्न जीनों को पॉलीसिस्ट्रोनिक अनुलेखन इकाइयों में श्रेणीबद्ध किया जाता है, यानी दो या दो से अधिक जीनों के कैसेट, जिन्हें एकल प्रमोटर से आरएनए पॉलीमरेज एंजाइम द्वारा अनुलेखित किया जाता है। पराग की परिपक्वता के दौरान, क्लोरोप्लास्ट डीएनए लुप्त हो जाता है और इसलिए यह आने वाली पीढ़ी में हस्तांतरित नहीं हो पाता है।.
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