Hindi, asked by sudipto9273, 1 year ago

Fashion ki aur bhadte charanpicchda aaj ka yuva varg par nibandh

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Answered by KUPII
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एक समय था जब बच्चों के माता-पिता अपनी इच्छानुसार वस्त्र पहनते थे। तब बच्चों को भी इतना ज्ञान नहीं था कि फैशन के वस्त्र पहनना क्या होता है। माता-पिता जो कपड़े ला के देते थे वह कपड़े बच्चे खुशी-खुशी पहन लेते थे, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं है।
आज समय और परिस्थतियां परिवर्तित हो गई हैं। आज बच्चों का फैशन के प्रति बहुत तीव्रता से आकर्षण बढ़ा है। आज के युग के छोटे-छोटे बच्चे जिनके दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं, उन्हें भी फैशन का कीड़ा काटने लगा है। मेरा स्वयं का बेटा तोहीद जो मात्र अभी ढाई वर्ष का है वह भी बढ़िया वस्त्र अपनी पसंद के पहनता है और उसकी पसंद मेें हस्तक्षेप करना आफत मोल लेने के बराबर है। बहुत आश्चर्य होता है यह देख कर कि जिस फैशन का क्रेज युवा पीढ़ी तक सीमित था आज वह छोटे बच्चों से लेकर प्रौढ़ और वृद्धजनों तक विस्तार पा चुका है। फैशन के निरन्तर बढ़ते क्रेज ने बच्चों को इस सीमा तक प्रभावित किया है कि वह युवावस्था में कदम रखने से पूर्व ही अपने शारीरिक सौष्ठव को आकर्षक बनाने के लिए फैशन के अनगिनत प्रयोग स्वयं के ऊपर करने लगे हैं।
फैशन की इस अंधी दौड़ में कभी वह आकर्षक नजर आते हैं तो कभी नमूना बनकर हंसी का पात्र बनते हैं।
 फैशन के प्रति बच्चों के आकर्षण का  मुख्य कारण टी.वी. चैनल के विज्ञापनों और फिल्मों में फैशन को प्रमुखता से दिखाया जाना भी है।
फैशन जिससे दो शब्द भी सम्बन्धित हैं जिसमें प्रथम फैड और क्रेज इन शब्दों को हम इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि फैड को धुन और क्रेज को हम उन्माद भी कह सकते हैं। फैशन के प्रति धुन की अधिकता ही उन्माद के रूप में परिवर्तनशील आकर्षक प्रक्रिया है। आज कुछ तो कल कुछ।
फैशन को आधार प्रदान करने में वस्त्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है वस्त्रों के सम्बन्ध में हरलॉक के शब्द फैशन में वस्त्रों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हैं। वस्त्रों का एक मुख्य मूल्य यह है कि वह व्यक्तियों को अपना इस प्रकार विज्ञापन करने योग्य बनाते हैं जिससे कि वे दूसरों का ध्यान और प्रशंसा आकर्षित कर सकते हैं।
 बहुत से लोग जिसमें कोई योग्यता नहीं होती और जो अपने गुणों के आधार पर औसत से ऊपर उठने की आशा नहीं कर सकते, वस्त्रों के माध्यम से सम्मान की इस इच्छा को सन्तुष्ट करने का साधन पा जाते हैं। फैशन में हो रहे निरन्तर परिवर्तन के सम्बन्ध में दिल्ली निवासी जींस के निर्माता रईस अहमद का कहना है कि फैशन को नवीन आधार देने व परिवर्तन की दिशा को स्थापित करने में प्रसिद्ध और चर्चित व्यक्तियों का विशेष स्थान होता है। इस श्रेणी के अंतर्गत फिल्म स्टार व मॉडल आते हैं। यह लोग समाज में एक आदर्श के रूप में होते हैं, इस कारण लोग उनकी हर अच्छी बुरी बात का अनुकरण बिना सोचे करते हैं। उनके द्वारा स्थापित फैशन शीघ्र ही उन्माद का रूप धारण कर लेता है। जिसमें बच्चे, युवा, प्रौढ़ सभी डूब जाते हैं और इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि भारत जैसे गरीब देश में भी लोग अपनी आय का अधिक हिस्सा फैशन की चीजों और वस्त्रों की खरीद पर व्यय करते हैं।
 मध्यम वर्ग के स्त्री- पुरुषों में फैशन की प्रवृत्ति अधिक देखने को मिलती है। बहरहाल फैशन आज के बदलते युग की मांग है इसलिए अभिभावकों का कर्तव्य बनता है कि वह अपने बच्चों में फैशन के वास्तविक अर्थ समझायें। यह फैशन ही है जो आपको आकर्षक भी बना सकता है और वहीं दूसरी ओर आपके व्यक्तित्व पर प्रश्नचिन्ह भी लगा सकता है।
Answered by sarveshamaze
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Answer:

आज समाज में फैशन का बोलबाला बढ़ चला है। युवा वर्ग अपने आप को दिखाने के लिए अब जितने सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करते हैं उतने पहले कभी नहीं होते होंगे। लड़कियां आदि काल से ही फैशन की दीवानी रही है आज के पुरुष भी अब लड़कियों से होङ करने लगे हैं। फैशन की आंधी से भला युवा वर्ग कैसे अछूते रह सकते हैं? फैशन करना मानवीय स्वभाव है मानव का मन हमेशा परिवर्तन चाहता है। हर मनुष्य सुंदर दिखना चाहता है उसके लिए चाहिए नवीनता। फैशन के माध्यम से हर विद्यार्थी स्वयं को सजने सवारने के लिए प्रयत्नशील होता है। इससे एक सुंदर स्वास्थ्य समाज की रचना होती है परंतु फैशन के लाभों की अपेक्षा हानियां अधिक है। फैशन के चक्कर में युवा वर्ग का सारा ध्यान पढ़ाई से हटकर फालतू की चीजों की ओर लग जाता है फैशनेबल व्यक्ति प्राय: सीधे साधे लोगों से दूरी बढ़ाने लगता है । उसमें विशेष होने का अहंकार पनपने लगता है । फैशन से समाज का रंग रूप दिखने में अवश्य सुंदर प्रतीत होने लगता है किंतु भीतर ही भीतर एक बनावटीपन पनपने लगता है। लोगों के भीतरी और बाहरी रूपों में जबरदस्त अंतर पैदा हो जाता है तथा युवा वर्ग को फैशन के चक्कर में ना पढ़कर अपने भावी जीवन को उन्नत बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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