fashion Prist aur dusri sadgi Pasand behan ke beech samvad lekhan
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फैशनपरस्त बहन और सादगी पसंद बहनों के बीच संवाद
प्रतीक्षा और समीक्षा नाम की दो बहनों में अपनी वेशवूषा और जीवनशैली को लेकर बहस छिड़ी हुई है।
प्रतीक्षा — समीक्षा, यह तुमने क्या पहन रखा है।
समीक्षा — देखती नहीं, ये नये स्टाइल की जींस और टॉप हैं। आज ही मार्केट से लेकर आई हूँ। जानती हो ब्रांडेड है। पूरे 1600/- रुपए की जींस है और यह टॉप 900/- रुपये का है।
प्रतीक्षा — मैं जानती हूं, तुम्हारी फिजूलखर्ची की आदत को और इसमें यह कट कैसे लगे हुए हैं? जैसेकि फटी हुई हो। तुम्हें ऐसा फैशन कैसे पसंद है?
समीक्षा — यही आजकल का फैशन है तुम क्या जानो तुम पुराने ख्यालात वाली लड़की हो।
प्रतीक्षा — क्यों? क्या सादगी से रहने वाला पुराने ख्यालात वाला होता है। मुझे सादगी पसंद है। मुझे तुम्हारी तरह तड़क-भड़क और दिखावा पसंद नहीं तो क्या मैं पुराने ख्यालात की हो गई?
समीक्षा — सबकी अपनी अपनी सोच है मैं तो मॉडर्न जमाने के हिसाब से चलती हूं।
प्रतीक्षा — जरूरी नहीं है कि तड़क-भड़क से रहकर ही मॉडर्न जमाने के साथ चला जा सकता है। सादगी का अपना महत्व है। अपने जीवन में सादगी को भी अपनाना जरूरी है। बहुत अधिक दिखावा या तड़क-भड़क आधुनिकता की पहचान नही है। आधुनिकता हमारे विचारों में होनी चाहिए।
समीक्षा — तुम्हारी बातें मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती हैं। मैं युवा हूं। फैशन अभी नहीं करूंगी तो क्या 50 साल की उम्र मे करूंगी।
प्रतीक्षा — ठीक है, मैं भी लगभग तुम्हारी ही उम्र की हूं। बस तुमसे दो साल बड़ी हूँ। लेकिन मैं इतना दिखावा नही करती।
समीक्षा — यह तुम्हारी इच्छा है। इसमें मैं क्या कर सकती हूं।
प्रतीक्षा — मैं यही तो समझाना चाहती हूं कि फैशन करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन एक मर्यादा तक रह कर तुम फैशन करो तो ठीक है। कभी-कभी तुम फैशन के नाम पर बहुत बेहूदे से कपड़े पहन लेती हो तो वो ठीक नही है। अपने पहनावे में शालीनता और सादगी भी होना चाहिये। यही हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है।
समीक्षा — ओके, ओके। अब चुप हो जाओ। रूपाली के जन्मदिन पर जाने के लिये देर हो रही है। तुम जल्दी से आओ मैं बाहर रिक्शा रोकती हूँ।
Answer:
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