feb me 28din kyu hote hai
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samajhdar moms use karti hain complan
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हम अभी जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं वह काफी कुछ रोमन लोगों के बहुत पुराने और समझने में मुश्किल कैलेंडर पर आधारित है। हालांकि इस बात के सबूत ढूंढ पाना मुश्किल है परंतु ऐसी कई कहानियां सदियों से प्रचलित हैं जिनके अनुसार रोम के पहले शासक रोमुलुस के समय में ऐसा कैलेंडर था जो मार्च से शुरू होकर दिसंबर पर खत्म होता था। इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस समय दिसंबर की समाप्ति और मार्च के पहले के समय को कैसे गिना जाता था परंतु यहां सर्दी के मौसम में कृषि न हो पाने की वजह से इस समय का रोमन लोगों के लिए कोई महत्व नहीं था और इसे कैलेंडर का हिस्सा बनाना उन्होंने जरूरी नहीं समझा।
रोम के दूसरे शासक, नुमा पोम्पिलियुस, ने कैलेंडर को ज्यादा सटीक बनाने का निश्चय किया और इसे चांद के हिसाब से एक वर्ष पूरा करने का सोचा। उस समय प्रत्येक चंद्र वर्ष 354 दिन लंबा होता था। नुमा ने कैलेंडर में दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी के महीने जोड़े ताकि बचे हुए दिनों की गिनती की जा सके। दोनों नए महीनों को 28 दिनों का बनाया गया क्योंकि चंद्र वर्ष के हिसाब से 56 दिन अतिरिक्त थे।
रोम में 28 नंबर को बुरा समझा जाता था और इससे बचने के लिए नुमा ने जनवरी में एक दिन और जोड़कर इसे 29 दिन बना दिया और हर वर्ष को 355 दिनों का। इस बात का कारण कभी ज्ञात नहीं हो पाया कि आखिर क्यों नुमा ने फरवरी में भी एक और दिन नहीं जोड़ा? प्राचीन रोमन काल से ही फरवरी महीने को बदनसीबी वाला महीना समझा जाता था क्योंकि यह 28 दिन लंबा था।
फरवरी को अशुभ महीना समझे जाने के पीछे एक और कारण यह भी है कि इस महीने में ही रोम में मृत आत्माओं की शांति और पवित्रता कार्य किए जाते थे। यहां तक कि पुरानी सेबाइन जनजाति की भाषा में फेब्रुअरे का मतलब पवित्र करना होता है।
इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई और यह मौसम के बदलावों के हिसाब से नही बन सका क्योंकि नुमा ने इसे चंद्रमा के हिसाब से बनाया था जबकि मौसम में बदलाव पृथ्वी द्वारा सुर्य परिक्रमा से होते हैं। इस समस्या से निजाद पाने के लिए 23 फरवरी के बाद 27 दिनों का एक और महीना जोड़ा गया अगले दो सालों में। परंतु पोंटिफ जिसे कैलेंडर में सुधार सुनिश्चित करने का भार सोंपा गया था, उसने अतिरिक्त महिनों को कैलेंडर में सही समय पर नही जोड़ा और इस प्रकार समस्या का कोई उपाय नहीं मिल सका।
रोम के विश्व प्रसिध शासक जुलियस सीजर ने 45 BC में एक विद्वान को नियुक्त कर कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के हिसाब से रखने का आदेश दिया जैसा कि मिस्त्र के कैलेंडर में किया जाता था। जुलियस सीजर ने हर वर्ष में 10 दिन जोड़ दिए और हर चौथे वर्ष में एक और दिन। अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे लंबा था।
रोम के दूसरे शासक, नुमा पोम्पिलियुस, ने कैलेंडर को ज्यादा सटीक बनाने का निश्चय किया और इसे चांद के हिसाब से एक वर्ष पूरा करने का सोचा। उस समय प्रत्येक चंद्र वर्ष 354 दिन लंबा होता था। नुमा ने कैलेंडर में दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी के महीने जोड़े ताकि बचे हुए दिनों की गिनती की जा सके। दोनों नए महीनों को 28 दिनों का बनाया गया क्योंकि चंद्र वर्ष के हिसाब से 56 दिन अतिरिक्त थे।
रोम में 28 नंबर को बुरा समझा जाता था और इससे बचने के लिए नुमा ने जनवरी में एक दिन और जोड़कर इसे 29 दिन बना दिया और हर वर्ष को 355 दिनों का। इस बात का कारण कभी ज्ञात नहीं हो पाया कि आखिर क्यों नुमा ने फरवरी में भी एक और दिन नहीं जोड़ा? प्राचीन रोमन काल से ही फरवरी महीने को बदनसीबी वाला महीना समझा जाता था क्योंकि यह 28 दिन लंबा था।
फरवरी को अशुभ महीना समझे जाने के पीछे एक और कारण यह भी है कि इस महीने में ही रोम में मृत आत्माओं की शांति और पवित्रता कार्य किए जाते थे। यहां तक कि पुरानी सेबाइन जनजाति की भाषा में फेब्रुअरे का मतलब पवित्र करना होता है।
इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई और यह मौसम के बदलावों के हिसाब से नही बन सका क्योंकि नुमा ने इसे चंद्रमा के हिसाब से बनाया था जबकि मौसम में बदलाव पृथ्वी द्वारा सुर्य परिक्रमा से होते हैं। इस समस्या से निजाद पाने के लिए 23 फरवरी के बाद 27 दिनों का एक और महीना जोड़ा गया अगले दो सालों में। परंतु पोंटिफ जिसे कैलेंडर में सुधार सुनिश्चित करने का भार सोंपा गया था, उसने अतिरिक्त महिनों को कैलेंडर में सही समय पर नही जोड़ा और इस प्रकार समस्या का कोई उपाय नहीं मिल सका।
रोम के विश्व प्रसिध शासक जुलियस सीजर ने 45 BC में एक विद्वान को नियुक्त कर कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के हिसाब से रखने का आदेश दिया जैसा कि मिस्त्र के कैलेंडर में किया जाता था। जुलियस सीजर ने हर वर्ष में 10 दिन जोड़ दिए और हर चौथे वर्ष में एक और दिन। अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे लंबा था।
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