Hindi, asked by riya55, 1 year ago

few lines about mera bachpan in hindi<br /

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Answered by coolanswers11
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जितने छोटे थे हम उतने ही बड़े हमारे सपने थे . ये भी करना है वो भी करना है ,जाने कितने ही ख्वाबों के बीच घिरे रहते थे । वो बचपन और स्कूल के दिन, जब अपने वजन से भारी बस्ता उठाने पर भी हमारे कदम आकाश पर ही पड़ते थे , और अपनी धुन में गम हम जाने कब स्कूल से घर आ जाते थे । शैतानियाँ और माँ की दांत दोनों ही बड़ी प्यारी लगा करती थी और दोनों का सुख भी एक साथ ही मिल जाता था इसलिए हम शैतानियाँ करने से बाज नही आते थे । सरस्वती शिशु मन्दिर के वो दिन जब प्रांगन में हम लक्ष्मी वाहिनी की सफ़ेद दरी पहने , हम स्वयं को रानी लक्ष्मी से कम नही समझते थे । एक प्ले हुआ था स्कूल में जिसमे हमें लाक्स्मन का अभिनय करना था पर हमारे हिस्से में कोई दिलोगुए नही था ,बुरा तो लगा था पर हम इसी में खुश थे क्योंकि पहली बार स्टेज पर जाना था । हमारा प्लाय्बहुत अच्छा हुआ था , सभी बार बार आकर राम और सीता को "very good" बोल रहे थे ,और सच कहूं तो मुझे दुःख हो रहा था .........मैं बहुत रोई थी , आज भी मन करता है की वो चांस दुबारा मिल जाए और वो राम का पार्ट हमें मिल जाए .........हाँ शायद ये मेरा बचपना ही है जो आज भी कहीं मेरी भावनाओ में मेरे साथ है पर वो पहली बार ही था जब हमने हार और जीत का फर्क महसूस किया था ।
Answered by NANISH
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मैं अपने बचपन में खूब मस्ति करती थी|
अपने मम्मी पापा की लाड़ली थी|
मुझे नाच-गाना बहूत अच्छा लगता था|
गर्मियों में रोज रात को हमारे घर कुल्फी आती थी|
मैं बहूत शरारती भी थी|
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