Few lines on bhagat singh for fancy dress competition
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He was born in a Sikh jat family on 27 September 1907 in KhatkarKalan,Punjab in British India. His family had earlier been involved in revolutionary activities against the British Raj. When Bhagat Singh was a teenager, he studied European revolutionary movements. He read Marxists Books also to know about that side too. It was said that this attracted him but that is still not proven. In 1925, he initiated Naujawan Bharat Sabha He became involved in numerous revolutionary activities. He quickly gained prominence in the Hindustan Republican Association (HRA) and became one of its chief leaders. Eventually, the name of the organization was changed to Hindustan Socialist Republican Association (HSRA).
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भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पजाब के एक सिख परिवार में हुआ था।
उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।
वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया।
भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की।
भगत सिंह ने भारत को आज़ादी के लिए ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा दिया।
वह वामपंथी विचारधारा से प्रभावित क्रांतिकारी थे।
उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे।
भगत सिंह ने 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर में अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा।
भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को 23 मार्च 1931 को शाम में करीब 7 बजकर 33 मिनट पर फाँसी दे दी गई।
वह एक महान क्रन्तिकारी थे जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
मुझे भगत सिंह पर गर्व है ,मै उन्हें अपना आदर्श मानता हूँ।
उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।
वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया।
भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की।
भगत सिंह ने भारत को आज़ादी के लिए ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा दिया।
वह वामपंथी विचारधारा से प्रभावित क्रांतिकारी थे।
उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे।
भगत सिंह ने 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर में अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा।
भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को 23 मार्च 1931 को शाम में करीब 7 बजकर 33 मिनट पर फाँसी दे दी गई।
वह एक महान क्रन्तिकारी थे जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
मुझे भगत सिंह पर गर्व है ,मै उन्हें अपना आदर्श मानता हूँ।
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