FI (ईरान और ईराक/
) सिलीकान वेली में कितने भारतीय काम करते हैं ?
(लगभग ती
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नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ईरानी कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रॉन हमले में मौत के बाद दोनों ही तरफ से कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में तीन दशक के बाद एक बार फिर ईरान-इराक समेत पूरे मिडिल ईस्ट में बसे भारतीयों पर भी संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि तीन दशक पहले जब इराक ने कुवैत पर हमला किया था उस वक्त वहां पर रहने वाले कुछ भारतीयों की मदद से भारत सरकार ने सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान एयर इंडिया के विमानों ने 58 दिनों तक नॉनस्टॉप 488 उड़ानें भरकर करीब 1 लाख 70 हजार लोगों को समय रहते रेस्क्यू किया था। यह दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन भी था।
खाड़ी युद्ध के बाद एक बार फिर संकट में मिडिल ईस्ट
वर्तमान में एक बार फिर से यही हालात भारत सरकार और भारतीयों के सामने खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। यह हालात इसलिए भी गंभीर होते दिखाई दे रहे हैं क्योंकि बुधवार को तेहरान से यूक्रेन जा रहा एक विमान हवा में क्रेश हो गया। आशंका जताई जा रही है कि यह विमान किसी तकनीकी खामी से नहीं बल्कि अमेरिकी हमले में गिराया गया है। इस घटना में विमान में सवार सभी 170 यात्रियों की मौत हो गई है। इस आशंका की एक वजह ये भी है क्योंकि 1988 में अमेरिका ने इसी तरह से एक विमान को मार गिराया था। इतना ही नहीं इसके लिए अमेरिका ने माफी तक नहीं मांगी थी, जिसके बाद ईरान ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था। इसमें दस भारतीयों समेत कुल 280 यात्री मारे गए थे। अमेरिका-ईरान के बीच फैले तनाव के बीच भारत ने विमानों के लिए एडवाइजरी जारी की है कि वह ईरान के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने से बचें।
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