Find out all the samas pad with their names from chapter 1 class 10 sanskrit
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पूर्वोत्तर विभक्ति का लोप – सीतायाः पतिः = सीतापतिः। इस विग्रह में ‘सीतायाः’ पद में षष्ठी विभक्ति है, ‘पतिः’ पद में प्रथमा विभक्ति सुनाई देती है। समास करने पर इन दोनों विभक्तियों का लोप हो जाता है। उसके बाद ‘सीतापति’ इस समस्त शब्द से पुनः प्रथमा विभक्ति की जाती है, इसी प्रकार सभी जगह जानना चाहिए।
समासयुक्त शब्द समस्तपद कहा जाता है। जैसे–
सीतापतिः।
समस्त शब्द का अर्थ समझाने के लिए जिस वाक्य को कहा जाता है, वह . वाक्य विग्रह कहलाता है। जैसे– ‘सीतायाः पतिः’ यह वाक्य विग्रह है।
समास के भेद-
संस्कृत भाषा में समास के मुख्य रूप से चार भेद होते हैं।
समास में प्रायः दो पद होते हैं – पूर्वपद और उत्तर। पद का अर्थ पदार्थ होता है। जिस पदार्थ की प्रधानता होती है, उसी के अनुरूप ही समास की संज्ञा भी होती है। जैसे कि प्रायः पूर्वपदार्थ प्रधान अव्ययीभाव होता है। प्रायः उत्तरपदार्थ प्रधान तत्पुरुष होता है। तत्पुरुष का भेद कर्मधारय होता है। कर्मधारय का भेद द्विगु होता है। प्रायः अन्य पदार्थ प्रधान बहुब्रीहि होता है। प्रायः उभयपदार्थप्रधान द्वन्द्व होता है। इस प्रकार समास के सामान्य रूप से छः भेद होते हैं।
अव्ययीभाव समासः Avyayebhav Samas
तत्पुरुष समास: Tatpurush Samas
कर्मधारयसमास: Karmadharaya Samas
द्विगुसमासः Dvigu Samas
बहुव्रीहिसमासः Bahuvrihi Samas
द्वन्द्वसमास: Dvandva Samas
1. अव्ययीभाव समासः
जब विभक्ति आदि अर्थों में वर्तमान अव्यय पद का सुबन्त के साथ नित्य रूप से समास होता है, तब वह अव्ययीभाव समास होता है अथवा इसमें यह जानना चाहिए-
जैसे–
अव्ययपदम् – अव्ययस्यार्थः – विग्रहः – समस्तपदम्
अधि – सप्तमीविभक्त्यर्थे – हरौ इति – अधिहरि
2. तत्पुरुष समास:
तत्पुरुष समास में प्रायः उत्तर पदार्थ की प्रधानता होती है। जैसे– राज्ञः पुरुषः – राजपुरुषः (राजा का पुरुष)। यहाँ उत्तर पद ‘पुरुषः’ है, उसी की प्रधानता है। ‘राजपुरुषम् आनय’ (राजा के पुरुष को लाओ) ऐसा कहने पर पुरुष को ही लाया। जाता है। राजा को नहीं। तत्पुरुष समास में पूर्व पद में जो विभक्ति होती है, प्रायः उसी के नाम से ही समास का भी नाम होता है। जैसे–
कृष्णं श्रितः – कृष्णश्रितः (द्वितीयातत्पुरुषः)
3. कर्मधारय समास:
जब तत्पुरुष समास के दोनों पदों में एक ही विभक्ति अर्थात् समान विभक्ति होती है, तब वह समानाधिकरण तत्पुरुष समास कहा जाता है। इसी समास को कर्मधारय नाम से जाना जाता है। इस समास में साधारणतया पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य होता है। जैसे– नीलम् कमलम् = नीलकमलम्।।