Five Poems on Vasant Ritu.
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वसंत ऋतु पर कविताएँ
लो आ गया वसंत ऋतु
लो आ गया वसंत,
पतझड़ को नव जीवन मिला।
प्रकृति के मुरझाये अधरों पर,
मुस्कानों का फूल खिला।
अब तो पेड़ों पर फल लगेंगे,
सरसों के पीले फूल खिलेंगे।
डालों पर बोलेंगी कोयल,
पक्षियों का कलरव होगा।
मन्द-मन्द सी बयार,
मन में सब के रस सा घोलेंगी।
मन में जो राग छुपे,
जाने कितने अनुराग छुपे।
अधरों पर लाकर सब के,
मन को अपना कर लेगी।
ऋतुराज वसंत
ऋतुओं का राजा वसंत,
आ गया है हरियाली लेकर।
पौधों पे नवकुसुम खिल रहे है,
और पेड़ों पर बौर लग रहे है।
हर तरफ छाई है खुशहाली,
डालों पर बोल रही हैं कोयल।
मस्त हवाओं के झोंको से,
तन मन लगा है डोलने।
मधुर-मधुर सा प्रकृति का संगीत,
सबके मन में लगा है,
मीठा सा रस घोलने।
आया है देखो बसंत
आया है देखो बसंत,
देने प्रकृति को नए रंग।
करके उसका अनुपम श्रृंगार,
आया है देखो बसंत।
डालों पर बोलती हैं कोयलें,
पौधों में खिलती है नव कोपलें।
घोलें मन में खुशियाँ अपार,
मौसम की ये नई बहार।
आया है देखो बसंत,
सजी दुल्हन सी ये धरती,
मन में उमंग सी भरती।
करके पायल सी झनकार,
देती प्रकृति को अनुपम सौंदर्य का उपहार।
आया है देखो बसंत।
आया बसंत
आया बसंत हँसता गाता,
रंग -बिरंगी फूल खिलाता.
झूम रही है हर डाली डाली,
कूक रही कोयल मतवाली.
गुन गुन गुन गुन भंवरा गाता,
तितली रानी से बतियाता.
खुश हो बच्चे पतंग उड़ाते,
वो -काटा का शोर मचाते.
सर्दी कहती अब है जाना,
मौसम लगता बहुत सुहाना.
आया बसंत हँसता गाता,
मस्ती की गागर छलकाता.
बसंत ऋतु
देखो बसंत आया है भाई,
रंग ख़ुशी का लाया है भाई.
नाचो गाओ आज ख़ुशी से,
ख़ुशी मनाओ मिलकर भाई,
हम तुम चोरी चोरी से हँसते,
चोरी भी रंग लाया है भाई,
दही, मिठाई की दुकान है लगी,
आज खाओ तुम खूब मलाई.
देखो बसंत आया है भाई,
रंग ख़ुशी का लाया है भाई.
दुनिया की हरियाली छाई,
खुशियों की बरखा है लायी,
देखो देखो वो दौड़ी आई,
जुगलमिलन के सपने हैं भाई,
सपनो की दुकान को लगाओ,
आज ख़ुशी तुम खूब मनाओ.
देखो बसंत आया है भाई,
रंग ख़ुशी का लाया है भाई|
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