five sentence on farming in sanskrit
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सर्वेषां जीवनं कृषिम् अवलम्बते। कृषिः अथवा कृषि कार्यं कष्टमेव। भूमौ जीवनाय आवश्यकम् अन्नं कृषेः उत्पादनम्। कृषिः महत् प्रयत्नम् अपेक्षते। कृषेः सफलतायै अन्यानि साधनानि आवश्यकानि।मुख्यत: जल व्यवस्था समीचीना भवितव्या।भूमेः मृत्तिका अपि कृषि कार्ये सहायकी भवति।भारत देशः कृषि प्रधान देश:। कृषीवलाः बहु कष्टं अनुभूय प्राणिनां कृते व्यवसायं कुर्वन्ति। काले काले वर्षतु पर्जन्यः देशे देशे वर्धतु कृषिः।धन्या हि कृषिः धन्याः च कृषीवलाः।
Answer:
क्रियापद वे शब्द होते हैं जो क्रिया का बोध कराते हैं । क्रियापद के मूल रूप को धातु कहते हैं । प्रत्येक धातु से अनेक क्रियापद बनते हैं जिसे धातु रूप कहते हैं ।
संस्कृतमे धातुओं को दस समूहों में वर्गीकृत किया गया है । उनके धातु रूप तीन पुरुष, तीन पद, तीन प्रयोग, तीन वचन और विभिन्न लकारों के अनुसार निर्मित किये गये हैं ।
अष्टाध्यायी के सूत्रों पर आधारित नियमों के अनुसार बनाये गये सूचियां और अभ्यास द्वारा धातुओं से क्रियापदों के निर्माण में निपुण बनें ।