Hindi, asked by Luchan, 1 year ago

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Answered by christinaelsa
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Explanation:

असम एक बार फिर बाढ़ में डूब गया है। अब यह तो जैसे हर साल होने वाली एक सालाना त्रासदी हो गई है। हर साल राज्य के बड़े भू-भाग को बाढ़ का पानी अपना शिकार बना लेता है। फसलों और संपत्ति को नुकसान पहुंचता है। कई लोगों की जान जाती है। मवेशियों और वन्य जीवों को बचाने की कोशिशें भी कभी-कभी नाकाम ही रहती है। क्या इसका कोई समाधान नहीं हैं?

हम बड़े गर्व के साथ दावे करते हैं कि आजादी के बाद से भारत ने किस तरह तरक्की की है। लेकिन जब बात असम की आती है तो देश मानकर चलता है कि इस राज्य को बाढ़ से नहीं बचा सकते। यह जीवन की ऐसी हकीकत है, जिसका सामना हर साल करना होता है। जैसे ही बाढ़ का पानी उतरता है, जिंदगी फिर पटरी पर आ जाती है।

केंद्र और राज्य में पिछले कई बरसों में कई सरकारें आई और गई। उन्होंने करोड़ों रुपए का निवेश किया। अब समय आ गया है कि उनकी लंबी अवधि की योजनाओं का आकलन किया जाए। यह देखा जाए कि जिन समाधानों को अमल में लाया गया, उन्होंने समस्या को दूर करने में सफलता पाई भी या नहीं।

इस साल अप्रैल और मई में प्री-मानसून बारिश शुरू हो गई थी। तब से हालात गंभीर हो चले थे। ब्रह्मपुत्र और उसकी कई सहायक नदियों ने अपने किनारों को तोड़कर राज्य के 35 जिलों में से 23 जिलों को बाढ़ से प्रभावित किया। करीब दो लाख हैक्टेयर में लगी फसलें डूब गई।

इसकी वजह से 11 लाख लोग प्रभावित हुए। 28 लोगों ने अपनी जान गंवाई। 1.5 लाख से ज्यादा लोग 460 से ज्यादा राहत शिविरों में आश्रय लिए हुए हैं।

कई हिस्सों में लोग अब भी बाढ़ के पानी से जूझ रहे हैं। उनके पास खाना और पीने का पानी बेहद कम है। वे राहत और बचाव दलों का इंतजार कर रहे हैं। एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है। वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।

असम के पर्यटन स्थल काजीरंगा नेशनल पार्क का 80 प्रतिशत हिस्सा डूब गया। राज्य में एक सिंग वाले गेंडे और अन्य वन्यजीवों को बाढ़ ने बुरी तरह प्रभावित किया है। भारत के वाइल्डलाइफ ट्रस्ट के साथ-साथ वन विभाग के कई अधिकारी जानवरों को बचाने के लिए सक्रिय हैं, लेकिन कई जानवर डूब चुके हैं। कई अब भी डूब क्षेत्र में फंसे हुए हैं।

निचले असम में मोरीगांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। 3.6 लाख से ज्यादा लोगों को बाढ़ के पानी का सामना करना पड़ा। जोरहट जिले में पड़ने वाला माजुली द्वीप पूरी तरह डूब गया है। इससे करीब 1.71 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।

हर साल, असम में 31.6 लाख हैक्टेयर जमीन के बाढ़ से प्रभावित होने की आशंका रहती है। इसमें 9.5 लाख हैक्टेयर हर साल सीधे-सीधे बाढ़ से प्रभावित होता है। सालाना 160 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होता है।

बाढ़ की वजह से होने वाले मिट्टी के कटाव की भारी कीमत असम को चुकानी पड़ी है। 1954 से, अब तक 4.2 हैक्टेयर जमीन कटाव की वजह से राज्य ने खो दी है। यह राज्य के 7.1 प्रतिशत से ज्यादा है।

बीते बरसों में, दक्षिण असम क्षेत्र में सबसे ज्यादा कटाव हुआ है। नलबाड़ी में माकालुमा (80 हजार हैक्टेयर), माजुली द्वीप (42,000 हैक्टेयर), गोलपाड़ा इलाका (40,000 हैक्टेयर) और मोरीगांव (15,000 हैक्टेयर) सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

जल संसाधनों के लिहाज से ब्रह्मपुत्र नदी दुनिया की छठे नंबर की नदी है, जो 629.05 घन किमी/वर्ष पानी अपने साथ ले जाती है। नदी की कुल लंबाई 2,906 किमी है, जिसमें से 918 किमी भारत में पड़ती है। इसमें से 640 किमी असम में बहती है।

ब्रह्मपुत्र की 41 सहायक नदियां हैं, जिसमें से 26 उत्तरी किनारे की ओर बहती हैं जबकि 15 दक्षिणी किनारे की ओर।

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