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Essay on Autobiography of road in hindi.
Answers
प्रस्तावना- मैं सड़क हूँ। मेरे अनेक रूप हैं कहीं मैं पगडंडी के रूप में हूँ तो कहीं मेरा रूप बहुत विशाल है। सभी व्यक्ति बच्चे बूढ़े, पुरूष स्त्रियाँ निर्धन धनी मेरा प्रयोग करते हैं। मैं सब का कार्य आसान करती हूँ। मुझ पर चलकर ही सभी अपने अपने लक्ष्य तक पहुँचते हैं।
मेरे प्रकार अनेक- मेरे अनेक प्रकार हैं। पगडंडी मेरा एक रूप है। इससे बड़ा एक रूप और है। वह रूप आपको हर गाँव में मिल जाएगा। इसकी चौड़ाई अधिक होती है। इस पर बेलगाडि़याँ चलती हैं। गाय, भैसें और अन्य पशु भी मेरे इस रूप का प्रयोग करते हैं। समय के परिवर्तन के साथ साथ मेरे रूप में भी परिवर्तन आ रहा है। गाँवों में भी अब मुझे सुधार जा रहा है। मुझे अब पक्का किया जा रहा है।
नगरों में मेरा आप जो रूप देखते हैं, वह अत्यन्त ही आकर्षक और साफ सुथरा है। मेरे शरीर पर कहीं भी मिटृी नहीं दिखाई देती। चिकनी चुपड़ी चाची के समान मैं भी सुन्दर और आकर्षक लगती हूँ। मुझ पर चलने में आनंद आता है। कारें, बसें और दूसरे वाहन मुझ पर तेज गति से दौड़ते रहते हैं।
अनोखी पहचान- मुझ में अनोखी पहचान है। मैं बच्चों, बूढ़ों, पुरूषों, स्त्रियों के पैरों की चाप से यह जान लेती हूँ कि मुझ पर चलने वाला कौन है। बच्चा मुझ पर मस्ती से धीरे धीरे इठलाता हुआ चलता है तो बूढ़ें व्यक्ति की पद चाप कुछ अलग तरह की होती है। हताष और निराश व्यक्ति और साहसी तथा प्रसन्नचित्त व्यक्ति की पद चाप में भी बहुत अन्तर होता है। निराश और हताश व्यक्ति के पैरों की चाप में वह तेजी नहीं होती जो साहसी और आशावान व्यक्ति के पैरों में होती है। विद्योगी व्यक्ति के पैरों की चाप भी मैं पहचानती हूँ और प्रेमियों के पैरों की चाप भी।
जन्म- मैं अनादि काल से इस संसार में हूँ। मानव के जन्म के साथ ही मेरा भी जन्म हो गया था। जब तक इस धरती पर मानव है, मैं भी किसी न किसी रूप में इस धरती पर रहूँगी। मुझे विश्वास है कि मेरे रूप में समय के साथ साथ सुधार होता जाएगा।
उपसंहार- मैं भले ही निर्जीव समझी जाती हूँ, पर मुझमें चेतना की कमी नहीं। मैं तो गाँव को गाँव से, एक नगर को दूसरे नगर से जोड़ने का काम करती हूँ। मेरा कार्य एक देश को दूसरे देश से मिलाना है। इस प्रकार मैं गाँवों, नगरों, और देशों को परस्पर जोड़कर उनमें भाईचारे का भाव पैदा करती हूँ। स्वयं दूसरे के पैरों के नीचे पड़कर सब का हित करने में लगी रहती हूँ। काश लोग मेरे महत्व का जानते और मेरा ध्यान रखते।
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सड़क की आत्मकथा
आप सब मुझे कईं नामों से जानते हैं, कोई महात्मा गांधी मार्ग कहता है ,तो कोई सेंट थॉमस रोड । हर मजहब का, हर देश का मुझसे नाता है। मेरे होने से दुनिया छोटी सी हो गई है। मैं बिछड़ों को मिलाती हूं ,अपनों को पास लाती हूँ।मैं काली -काली हूं मगर बहुत मतवाली हूँ। जहां मैं नहीं, वहाँ आबादी नहीं ,खुशहाली नहीं।जब धूप पड़ने पर चमकती हूँ तो हर व्यक्ति मुझे देखकर मोहित हो जाता है। प्रसन्न होता है कि कितनी सुंदर, सटीक व मजबूत हूँ मैं। मेरे अच्छे निर्माण से हाईवे बनते हैं ,जिन पर ट्रक व भारी वाहन एक जगह से दुसरी जगह सामान ले जाते हैं ।देश की प्रगति को इसी से आंका आ जाता है ।आज के युग में विकसित देश की पहचान मुझसे ही होती है।मैं चलती जाती हूँ किलोमीटर दर किलोमीटर। गांव से गांव को जोड़ती हूँ, शहर से शहर को, देश से देश को ।मुझ पर चलती तेज गाड़ियां आपको ले जाती हैं अपनी मंजिल की तरफ। सड़क के रूप में मैं हर जगह व्याप्त हूं ,चाहे देहात हो,चाहे बड़े-बड़े पहाड़ों पर। मुझे आप हर जगह पाएंगे ।मुझ पर चले बिना तो हवाई जहाज भी उड़ान नहीं भर सकते। मेरे लिए पहाड़ों की चट्टाने भी काटी जाती हैं। मुझ पर चलकर वाहन पहाड़ वासियों के लिए ,सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए खाने पीने तथा पहनने का आवश्यक सामान ले जाया जाता है ।मेरी बुनियाद सफेद सीमेंट के पत्थरों से बनाई जाती है। फिर उस पर काली लुक डालकर पक्का कर दिया जाता है।बारिश व भारी वाहन की आवाजाही से मैं टूट फूट जाती हूँ ।समय पर मरम्मत कराने से ही मैं सुंदर रहती हूँ। कुछ साल पहले आगंतुक मेरे आसपास के पेड़ों की छाया में बैठकर विश्राम कर लेते और फिर आगे बढ़ जाते, लेकिन आज के आधुनिक युग में मेरे नजदिक बड़ी -बड़ी ईमारते , दुकानें व लंबी लंबी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई हैं।मुझे हरे भरे वृक्ष फूलों से लदी डालियां बहुत भाती है। आप सब से अनुरोध है कि मुझे भी सजा कर रखिए। कूड़ा करकट मत फेंकिए ।मैं आपके शहर की शोभा बनुगीं।क्या इंसान का जीवन भी एक लंबी सड़क के समान नहीं है। शुरू से अंत तक बहुत से लोग हमारे जीवन में आते हैं ।कुछ खट्टी ,कुछ मीठी यादें छोड़ जाते हैं। जीवन की मुश्किलें उन खड्डों की तरह हैं जो सड़क को करूप बना देती हैं ।जैसे हम सड़क के खड्डे भर देते हैं, वैसे ही जीवन में भी हमें प्रेम, विश्वास व मेहनत से मुश्किलों के खड्डों को भर कर आगे बढ़ना चाहिए। जिंदगी में हम सबको भी अच्छे बुरे वक्त का सामना करना पड़ता है ।अपने साहस से , बड़ों के आशीर्वाद से ,हम हर मुश्किल पर जीत पाकर आगे बढ़ जाते हैं । सुखद भविष्य के लिए हमें सड़क से प्रेरणालेकर, बिना रुके, बिना झुके बिल्कुल सड़क की तरह आगे बढ़ना चाहिए।