format of a letter to motherland
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मेरी प्यारी मातृभूमि,
आज मेरे मन में मिश्रित भावनाएं हैं, मुझे अच्छा लग रहां है कि मैं आपके साथ बात करने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन यह सोचके बुरा लग रहां है की मुझे आपसे बात करनेमे इतना लंबा समय क्यों लगा।
मैं किसी भी समय आपके साथ बात कर सकता था, लेकिन मैंने आपको नजरअंदाज कर दिया। मैंने खुद को स्कूल, ट्यूशन, वीडियो गेम, बर्गर और ना जाने क्या क्या चीज़ों में व्यस्त रखा। मैं डिज्नी की एनीमेशन फिल्म देखने के लिए में आसानीसे वक्त निकालता हूँ, वैसे ही मुझे आपसे बात करने का समय मिल सकता था। पर ऐसा नहीं हुआ, है प्यारी भारतमाता मुझे क्षमा करें। मुझे पता है कि आपके पास बड़ा दिल है, आप अपने इस बच्चे को माफ कर देंगे|
आपने हमें भोजन, आश्रय, स्वतंत्रता और पहचान का उपहार दिया। लेकिन, चूंकि हम इसके लिए भुगतान नहीं कर रहे हैं या इसके लिए लड़े नहीं हैं, हमने आपको अनदेखा कर दिया है, हमने आपका ध्यान नहीं रखा। लेकिन अब मैं अपनी गलतियों को ठीक करने जा रहा हूं।
आपने हमें जन्म से पोषण दिया और और हम विदेश मैं रहनेके ख्वाब देखते है। हम दूसरों को दोषी ठहराते हैं, हम दूसरों पर उंगलियों उठाते रहते हैं, लेकिन हम खुद अपनी गलतियां दोहराते रहते है। आपके महान पुत्रों और बेटियों ने आपकी आजादी के लिए शहादत पसंद की और हम छोटी मोटी चीज़ों के लिए रोते रहतें है|
शायद हम इस तरह हैं क्योंकि आप एक मां हैं और आप अपने बच्चों के लिए सब अच्छा चाहते हैं। आपने हमें सब मुफ्त में दिया और हमने इसे बर्बाद कर दिया। आप शक्तिशाली हैं, सर्वशक्तिमान ईश्वर की तरह, आप हमें किसीभी समय सबक सीखा सकते हैं। लेकिन आपके पास एक मां का दिल है, आप कभी भी अपने बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
यह समझने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है, अब हमें अपनी आँखें खोलनी होगी। मैं आज आपको वादा करता हूं, मैं आपसे अपनी मां की तरह प्यार करूंगा और मैं आपको साबित कर दूंगा कि मैं आपका अच्छा बेटा / बेटी हूं।
ओह, माँ; मैं तहे दिल से आपसे माफ़ी मांगता हूँ। कृपया मुझे माफ़ कर दीजिये|
आपका बेटी / आपकी बेटी
<नाम>
@i hope u like it@#
plz mark me as brainliest
@#champ@#
Answer:
Green Avenue
Urban Community
City
September 20, 2018
Dear Motherland:
I hope this letter finds you progressing and developing. I am writing this letter to thank you from the core of my heart for everything! You have given me the gift of life. I have grown playing in your lap. I can never ever thank you for the friends, wonderful plays, and happy times I had in my childhood. I walk on your surface; I eat the food from your crops; I eat the fruits grown in your orchards, fields, and pastures. Thanks for the sunlight; the rivers, the oceans; snow-capped mountains. I always feel I am closest to you when I am in the mountains. You have been a great motherland. You gave me more than my needs. You gave me a paradise. I am so lucky to have a great motherland like you.
You gave me the gift of education. I was born as a savage; but with the power of education I was transformed into a good human being. In your schools, colleges, and university I gathered the light of knowledge. I learnt lessons of life and rare wisdom from wonderful guides, leaders, masters, writers, great leaders, saints, etc. I thank you for all of them. I take a pledge that I will endeavor to be like a great son of yours. Thanks for the struggles I had to face that made me a better human being. I always felt your loving support whenever I was depressed and despondent. You filled my heart with new hope and strength to carry on and to hold on.
I promise you I will endeavor to bring honor and glory with my sincere efforts. I will remember my responsibilities towards you. As you reared me into young man, I will also look after you when I grow up. I will not do anything that might tarnish your image. I will never forget that you bore sufferings in the shackles of intruders. I will remember you give your everything in nurturing millions of your sons and daughters. Thanks my dear motherland. I love you. May you always prosper and be safe!
Your loving son,
An Indian