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डी-11 , कंकड़बाग
पटना
5 मई, 2013
पूजनीया माताजी,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और तुम्हारी कुशलता और स्वस्थ जीवन की कामना ईश्वर से सदैव करता रहता हूँ। विशेष यह कि तुम्हारा भेजा हुआ सामान मनोज के हाथों प्राप्त हुआ। मुझे नाश्ते की शख्त जरूरत थी, जिसे तुमने भेजकर पूरा कर दिया। रोज सुबह-शाम यह समस्या बनी हुई थी। मैं परीक्षा समाप्त होते ही घर आ जाऊँगा और तुम्हारे विंध्याचल जाने के कार्यक्रम में तुम्हारे साथ रहूँगा।
तुम सबसे अधिक अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना। तुम जितने दिनों तक हम लोगों के बीच रहोगीहम लोगों का दिशानिर्देश करती रहोगी। पिताजी का जीवन अब तुम्हारे जीवन के साथ है। वे अकसर
तुम्हारे विषय में पत्र द्वारा बताते रहते हैं।
घर आने पर शेष बातें होंगी। मुकेश और मुन्नी को प्यार।
तुम्हारा प्यारा पुत्र
क
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