format of Hindi essay write in hindi
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पहला चरण : सबसे पहले जिस विषय को आपने पसंद किया है उस पर अपने विचारों को दिमाग में लाएं, उस पर खूब सोचें। अपने दोस्तों से उस विषय पर चर्चा करें। चर्चा खुले दिमाग से हो मगर याद रहे कि वह बहस ना बनें । आप उस विषय पर जितना जानते हैं उसे एक कागज पर उतार लें। इसका फायदा यह होगा कि दिमाग में एकत्र जानकारी कागज पर आने से दिमाग में अन्य जानकारी के लिए जगह बनेगी।
जैसे किसी कागज पर अगर कुछ लिखा है तो उस पर और अधिक नहीं लिखा जा सकता । कागज जब खाली होगा तभी उस पर लिखने की संभावना होगी। उसी तरह दिमाग को भी नई जानकारी के लिए जगह चाहिए। अगर पहले से वहां कुछ जमा है तो नई जानकारी उसकें दर्ज नहीं हो पाएगी। जब आप कागज पर अपने विचार लिख लें तब नई किताबों, अखबारों और इंटरनेट से और अधिक जानकारी एकत्र करें।

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दूसरा चरण : सारी जानकारी एकत्र हो जाए तब उसे क्रमवार प्रस्तुत करना जरूरी है। जानकारी होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है जानकारी की आकर्षक प्रस्तुति। किसी बात को कहने का सुंदर अंदाज ही आपको सबसे अलग और खास बनाता है। निबंध का एक स्वरूप, ढांचा या सरल शब्दों में कहें तो खाका तैयार करें। सबसे पहले क्या आएगा, उसके बाद और बीच में क्या आएगा और निबंध का अंत कैसे होगा।
तीसरा चरण: निबंध के लिए विषय को चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है। सबसे पहले विषय परिचय, जिसे भूमिका या प्रस्तावना कहा जाता है। उसके बाद विषय विस्तार या विषय का विकास, महत्व, विषय से संबंधित आवश्यक पहलू, आंकड़े, सूचना आदि इसमें शामिल होंगे। उसके पक्ष और विपक्ष में विचार, निबंध के केन्द्र में कोई वस्तु है तो उपयोगिता, लाभ-हानि, फायदे-नुकसान आदि लिखे जा सकते हैं।
अगर निबंध किसी महापुरुष पर लिखा जा रहा है उनके बचपन, स्वभाव, महान कार्य, देश व समाज को योगदान, उनके विचार, प्रासंगिकता और अंत में उनके प्रति आपके विचार दिए जा सकते हैं। निबंध के अंत को निष्कर्ष या उपसंहार कहते हैं। यहां आकर आप विषय को इस तरह समेटते हैं कि वह संपूर्ण लगे।

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सबसे अहम शुरुआत है: कहते हैं 'फर्स्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन'। पहली बार जो प्रभाव पड़ता है वह आखिर तक रहता है। आपको निबंध लिखना है तो महापुरुषों के अनमोल वचन से लेकर कविताएं, शेरो-शायरी, सूक्तियां, चुटकुले, प्रेरक प्रसंग, नवीनतम आंकड़े कंठस्थ होने चाहिए। अपनी बात को कहने का आकर्षक अंदाज अक्सर परीक्षक या निर्णायक को लुभाता है।
विषय से संबंधित सारगर्भित कहावतों य ा मुहावरों से भी निबंध का आरंभ किया जा सकता है। विषय को क्रमवार विस्तार देने में ना तो जल्दबाजी करें ना ही देर। निबंध के हर भाग में पर्याप्त जानकारी दें। हर अगला पैरा एक नई जानकारी लेकर आएगा तो पढ़ने वाले की उसमें दिलचस्पी बनी रहेगी।
अनावश्यक विस्तार जहां पढ़ने वाले को चिढ़ा सकता है वहीं अति संक्षेप आपकी अल्प जानकारी का संदेश देगा। अत: शब्द सीमा का विशेष ध्यान रखें। दी गई शब्द सीमा को तोड़ना भी निबंध लेखन की दृष्टि से गलत है। अगर शब्दसीमा ना दी गई हो तो हर प्वाइंट में 40 से 60 शब्दों तक अपनी बात कह देनी चाहिए।
अंत भला तो सब भला: जिस तरह आरंभ महत्वपूर्ण है उसी तरह अंत में कहीं गई कोई चुटीली या रोचक बात का भी खासा असर होता है। विषय से संबंधित शायरी या कविता हो तो क्या बात है। अंत यानी निष्कर्ष/उपसंहार में प्रभावशाली बात कहना अनिवार्य है। सारे निबंध का सार उसमें आ जाना चाहिए।
Explanation:
निबंध की परिभाषा (Definition of essay)
अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना 'निबन्ध' कहलाता है।
दूसरे शब्दों में - किसी विषय पर अपने भावों को पूर्ण रूप से क्रमानुसार लिपिबद्ध करना ही 'निबंध' कहलाता है।
'निबंध' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नि + बंध। इसका अर्थ है भली प्रकार से बंधी हुई रचना। अर्थात वह रचना जो विचारपूर्वक, क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो।
इसके आधार पर हम सरल शब्दों में कह सकते हैं - 'निबंध वह गद्य रचना है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो।'
निबंध के अंग (Parts of an Essay)
निबंध के चार अंग निश्चित किए गए-
parts of essay
(1) शीर्षक –
शीर्षक आकर्षक होना चाहिए, ताकि लोगों में निबंध पढ़ने की उत्सुकता पैदा हो जाए। परन्तु यदि आप परीक्षा में बैठे हैं, तो आपको शीर्षक पहले से ही दिया गया होगा।
(2) प्रस्तावना –
निबंध की श्रेष्ठता की यह नींव होती है। इसे भूमिका भी कहा जाता है। यह अत्यंत रोचक और आकर्षक होनी चाहिए परन्तु यह बहुत लम्बी नहीं होनी चाहिए। भूमिका इस प्रकार की हो जो विषयवस्तु की झलक प्रस्तुत कर सकें। जो कि पाठक को निबंध पढ़ने के लिए प्रेरित कर सके।
निबंध की शुरुआत किसी सूक्ति, श्लोक या किसी उदाहरण से करनी चाहिए। अच्छी प्रभावोत्पादक पंक्तियों का प्रयोग परीक्षक पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा जिससे विद्यार्थी को अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आकर्षक प्रारम्भ पाठक या परीक्षक के मन में निबंध को आगे पढ़ने के लिए उत्सुकता जगाता है। निबंध में विषय का संक्षिप्त परिचय और वर्तमान स्वरूप भी विद्यार्थी को भूमिका खंड में देना चाहिए। भूमिका लिखते समय यह बात ध्यान रखनी बहुत आवश्यक है कि भूमिका का विषय से सीधा जुड़ाव होना चाहिए।
(3) विषय-विस्तार -
इसमें तीन से चार अनुच्छेदों में विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए जाते हैं। प्रत्येक अनुच्छेद में एक-एक पहलू पर विचार लिखा जाते है। यह निबंध का सर्वप्रमुख अंश है। इनका संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है। यहीं निबंधकार अपना दृष्टिकोण प्रगट करता है। जब कोई निबंध लिखना हो तो रफ लिख लेना चाहिए कि, पहले क्या बताना है, फिर प्वाइंट बना लो, इसके बाद उन्हें पैराग्राफ में लिखो।
(4) उपसंहार –
यह निबंध के अंत में लिखा जाता है। इस अंग में निबंध में लिखी गई बातों को सार के रूप में एक अनुच्छेद में लिखा जाता है। इसमें संदेश भी लिखा जा सकता है। उपदेश, दूसरे के विचारों को उद्घृत कर (लिख कर) या कविता की पंक्ति के माध्यम से निबंध समाप्त किया जा सकता है।