fox and crane story in Hindi
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मित्रों, इस पोस्ट में हम लोमड़ी और सारस की कहानी (The Fox And The Crane Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. यह कहानी लोमड़ी और सारस (Lomadi Aur Saras) की मित्रता की है. जब लोमड़ी इस मित्रता में चालाकी करती है, तो सारस क्या करता है? यही इस कहानी में बताया गया है. बच्चों की ये शिक्षाप्रद कहानी (Story For Kids In Hindi With Moral) रोचक और मनोरंजक है. पढ़िए :
Table of Contents
Fox And The Crane Story In Hindi
सीख (Moral Of The Story)
Fox And The Crane Story In Hindi
The Fox And The Crane Story In Hindi
The Fox And The Crane Story In Hindi | The Fox And The Crane Story In Hindi
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The Fox And The Crane Story In Hindi : एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी. उसे दूसरे जानवरों को मूर्ख बनाने में बड़ा आनंद प्राप्त होता था. वह आये-दिन कोई न कोई युक्ति सोचती और किसी न किसी जानवर को उसमें फंसाकर मज़े लिया करती थी. जंगल के सारे जानवर उसका स्वभाव समझ चुके थे. इसलिए उससे कन्नी काटने लगे थे.
एक दिन एक सारस (Crane) जंगल में आया और नदी किनारे रहने लगा. लोमड़ी (Fox) के नज़र जब सारस पर पड़ी, तो वह सोचने लगी – जंगल के दूसरे जानवर तो मुझसे कन्नी काटने लगे हैं. ये सारस जंगल में नया आया प्रतीत होता है. क्यों न इसे मूर्ख बनाकर मज़े लूं?
वह सारस के पास गई और बोली, “मित्र! इस जंगल में नये आये मालूम पड़ते हो. तुम्हारा स्वागत है.”
“सही पहचाना मित्र. मुझे यहाँ आये अभी कुछ ही दिन हुए हैं. मैं यहाँ किसी से परिचित भी नहीं हूँ. तुमने मेरा स्वागत किया, इसलिए तुम्हारा धन्यवाद.” सारस ने उत्तर दिया.
लोमड़ी ने सारस के समक्ष मित्रता का प्रस्ताव रखा. सारस का उस जंगल में कोई मित्र नहीं था. उसने लोमड़ी की मित्रता स्वीकार कर ली. लोमड़ी ने उससे मीठी-मीठी बातें की और वापस जाते-जाते अपने घर भोज के लिए आमंत्रित कर गया.
पढ़ें : सक्सेस मंत्रा ~ कहानी ~ समस्याओं को शुरुवाती दौर में ही सुलझ लें
नियत दिन को उपहार लेकर सारस लोमड़ी के घर पहुँचा. लोमड़ी उसका स्वागत करते हुए बोली, “आओ मित्र! आज मैंने तुम्हारे लिए स्वादिष्ट खीर तैयार की है.”
अंदर बुलाकर उसने दो तश्तरियां लगाई और उसमें खीर परोस दी. लंबी चोंच वाले सारस ने तश्तरी से खीर खाने का प्रयास किया, लेकिन खा नहीं पाया. उधर लोमड़ी झटपट तश्तरी में से खीर चाट गई.
अपनी तश्तरी में से खीर ख़त्म करने के बाद वह सारस से बोली, “खीर तो बहुत स्वादिष्ट है मित्र. लेकिन तुम खा क्यों नहीं रहे हो?”
सारस संकोचवश बस इतना ही कह पाया, “आज मेरे पेट में दर्द है मित्र. इसलिए मैं ये स्वादिष्ट खीर खा नहीं पाया. लेकिन भोज के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद.”
सारस अपमान का घूंट पीकर वहाँ से चला आया. उधर लोमड़ी सारस को मूर्ख बनाकर बहुत खुश हुई.
कुछ दिनों बाद सारस ने लोमड़ी को भोज पर आमंत्रित किया. नियत दिन को लोमड़ी बिना कोई उपहार लिए ही सारस के घर पहुँच गई. सारस के उसे अंदर बुलाया और बोला, “मित्र! मैंने भी भोज में खीर बनाया है. आशा है तुम्हें उसका स्वाद पसंद आएगा.”
पढ़ें : सक्सेस मंत्रा ~ कहानी ~ आज का काम कल पर ना टालें
खीर सुनकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया और वह खीर परोसने की प्रतीक्षा करने लगी. कुछ देर में सारस ने सुराही में खीर भरकर परोस दी. सुराही में खीर देखकर लोमड़ी का मुँह उतर गया. उसके लिए सुराही से खीर खा पाना असंभव था. वह चुपचाप सारस का मुँह देखने लगी, जो अपनी लंबी चोंच से झटपट सुराही में रखा खीर पी गया.
खीर ख़त्म कर सारस बोला, “क्या बात है मित्र? तुम खा क्यों नहीं रहे हो? क्या तुम्हें खीर पसंद नहीं?”
लोमड़ी समझ गई कि सारस ने उससे अपने अपमान का बदला लिया है. वह खिसियाते हुए बोली, “नहीं मित्र! वो क्या है कि आज मेरे पेट में दर्द है.” और वहाँ से भाग खड़ी हुई.
सीख (Moral Of The Story)
इस कहानी से सीख मिलती है कि जैसा करोगे, वैसा भरोगे. जैसे को तैसा.
ईसप की दंतकथाओं का संपूर्ण संग्रह
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लोमड़ी और सारस
एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी. उसे दूसरे जानवरों को मूर्ख बनाने में बड़ा आनंद प्राप्त होता था. वह आये-दिन कोई न कोई युक्ति सोचती और किसी न किसी जानवर को उसमें फंसाकर मज़े लिया करती थी. जंगल के सारे जानवर उसका स्वभाव समझ चुके थे. इसलिए उससे कन्नी काटने लगे थे.
एक दिन एक सारस जंगल में आया और नदी किनारे रहने लगा. लोमड़ी के नज़र जब सारस पर पड़ी, तो वह सोचने लगी – जंगल के दूसरे जानवर तो मुझसे कन्नी काटने लगे हैं. ये सारस जंगल में नया आया प्रतीत होता है. क्यों न इसे मूर्ख बनाकर मज़े लूं?
वह सारस के पास गई और बोली, “मित्र! इस जंगल में नये आये मालूम पड़ते हो. तुम्हारा स्वागत है.”
“सही पहचाना मित्र. मुझे यहाँ आये अभी कुछ ही दिन हुए हैं. मैं यहाँ किसी से परिचित भी नहीं हूँ. तुमने मेरा स्वागत किया, इसलिए तुम्हारा धन्यवाद.” सारस ने उत्तर दिया.
लोमड़ी ने सारस के समक्ष मित्रता का प्रस्ताव रखा. सारस का उस जंगल में कोई मित्र नहीं था. उसने लोमड़ी की मित्रता स्वीकार कर ली. लोमड़ी ने उससे मीठी-मीठी बातें की और वापस जाते-जाते अपने घर भोज के लिए आमंत्रित कर गया.
नियत दिन को उपहार लेकर सारस लोमड़ी के घर पहुँचा. लोमड़ी उसका स्वागत करते हुए बोली, “आओ मित्र! आज मैंने तुम्हारे लिए स्वादिष्ट खीर तैयार की है.”
अंदर बुलाकर उसने दो तश्तरियां लगाई और उसमें खीर परोस दी. लंबी चोंच वाले सारस ने तश्तरी से खीर खाने का प्रयास किया, लेकिन खा नहीं पाया. उधर लोमड़ी झटपट तश्तरी में से खीर चाट गई.
अपनी तश्तरी में से खीर ख़त्म करने के बाद वह सारस से बोली, “खीर तो बहुत स्वादिष्ट है मित्र. लेकिन तुम खा क्यों नहीं रहे हो?”
सारस संकोचवश बस इतना ही कह पाया, “आज मेरे पेट में दर्द है मित्र. इसलिए मैं ये स्वादिष्ट खीर खा नहीं पाया. लेकिन भोज के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद.”
सारस अपमान का घूंट पीकर वहाँ से चला आया. उधर लोमड़ी सारस को मूर्ख बनाकर बहुत खुश हुई.
कुछ दिनों बाद सारस ने लोमड़ी को भोज पर आमंत्रित किया. नियत दिन को लोमड़ी बिना कोई उपहार लिए ही सारस के घर पहुँच गई. सारस के उसे अंदर बुलाया और बोला, “मित्र! मैंने भी भोज में खीर बनाया है. आशा है तुम्हें उसका स्वाद पसंद आएगा.”
खीर सुनकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया और वह खीर परोसने की प्रतीक्षा करने लगी. कुछ देर में सारस ने सुराही में खीर भरकर परोस दी. सुराही में खीर देखकर लोमड़ी का मुँह उतर गया. उसके लिए सुराही से खीर खा पाना असंभव था. वह चुपचाप सारस का मुँह देखने लगी, जो अपनी लंबी चोंच से झटपट सुराही में रखा खीर पी गया.
खीर ख़त्म कर सारस बोला, “क्या बात है मित्र? तुम खा क्यों नहीं रहे हो? क्या तुम्हें खीर पसंद नहीं?”
लोमड़ी समझ गई कि सारस ने उससे अपने अपमान का बदला लिया है. वह खिसियाते हुए बोली, “नहीं मित्र! वो क्या है कि आज मेरे पेट में दर्द है.” और वहाँ से भाग खड़ी हुई.
सीख (Moral Of The Story)
इस कहानी से सीख मिलती है कि जैसा करोगे, वैसा भरोगे. जैसे को तैसा.
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