ग.भवसागर पार करने के लिए कवयित्री क्या आवश्यक मानती है?
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कवयित्री परमात्मा को साहब मानती है, जो भवसागर से पार करने में समर्थ हैं। वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है। वाख में 'रस्सी' शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है।
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