गोबर गैस संयंत्र के बारे में हरदेव ने क्या बताया?
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ये सब संकेत की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो
लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:
मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।
भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।
जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला
ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग
अर्थ होता है।
जैसे-हिंदी में जल या पानी कहेंगे तो अंग्रेज़ी में वॉटर।
हर भाषा में कहे गए ध्वनि-संकेत अलग-अलग अर्थ रखते हैं।
भाषा के दो रूप होते हैं-
मौखिक (Oral
for Written
मौखिक
जब हम अपने मन के विचारों को बोलकर प्रकट करते हैं तो उसे मौखिक भाषा कहते है।
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