(ग) चौपाई
25. जहाँ स्वतन्त्र विचार न बदलें मन में मुख में,
जहाँ न बाधक बनें सबल निबलों के सुख में।
सबको जहाँ समान नियोन्नति का अवसर हो,
शान्तिदायिनी निशा, हर्षसूचक वासर हो।।
(क) कुण्डलिया (ख) चौपाई 13
(ग) मालिनी
(घ) छप्पय
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) चौपाई
25. जहाँ स्वतन्त्र विचार न बदलें मन में मुख में,
जहाँ न बाधक बनें सबल निबलों के सुख में।
सबको जहाँ समान नियोन्नति का अवसर हो,
शान्तिदायिनी निशा, हर्षसूचक वासर हो।।
(क) कुण्डलिया (ख) चौपाई 13
(ग) मालिनी
(घ) छप्पय
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