(ग) चाँदनी रात का प्रथम प्रहर,
हम चले नाव लेकर सत्वर ।
सिकता की सस्मित-सीपी पर
मोती की ज्योत्सना रही विचर,
लो, पाले चढ़ी, उठा लंगर।
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Mujhe eska artha bataiye
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