गाडी छूट रही थी। सैकेडक्लास के एक छोटे डिब्बे को खाली समझकरजरा दौड़कर उसमें चढ़ गए। अनुमान के
प्रतिकूल डिब्बा निर्जननहीं था। एक बर्थ पर लखनऊ कीनवाबी नस्ल के ऐक सफेद पोश सज्जन बहुत सुविधा
पालथी मार बैठ थे। सामने दो ताजे-चिकने खीर तौलिए पर रखे थे। डिब्बे में हमारे सहसा कूद जाने से सज्जन की
आँखों में एकातचिंतन में सहसा कूद जाने सज्जनकी आँखों में एकात चितन में विघन का असतोष दिखाई दिया है
सोचा हो सकता है, यह भी कहानी के लिए सूझ की चिंता में हो या खीर जैसी अपदार्थ वस्तु का शौक करते देखें जाने
के सकाच महो।
गदयाश के लेखक कानाम है.
क.स्वय प्रकाश
ख.प्रेमचंद
ग.यश्पाल
घ.महादेवी वर्मा
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प्रेमचंद है शायद या फिर यशपाल
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घ
Explanation:
Class IX computer syllabus
All session of MS Excel
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