Hindi, asked by prashantshukla86, 11 months ago

गंगा की निर्मलता एवं जल संरक्षण के सम्बन्ध में निबंध for class 10​

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Answered by dcharan1150
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गंगा की निर्मलता और जल संरक्षण |

Explanation:

"गंगा" हमारे लिए माँ के स्वरूप हैं | पुराणों में वर्णित है की इन्हें स्वर्ग से पृथ्वी पर लाया गया हैं | इसलिए गंगा हमारे लिए पवित्र होने के साथ ही साथ पूजनीय भी हैं | गंगा जी की जल घर में छिड़क देने से ही घर के अंदर सकारात्मकता का अनुभव किया जा सकता हैं | इनके जल को हर एक शुभ कार्य में इस्तेमाल भी किया जाता हैं |

परंतु विडम्बना की बात यह है की, हम लोग आज इस पवित्र नदी को अपने स्वार्थ के लिए प्रदूषित करते ही जा रहें हैं | नदी के अंदर सहर का कूड़ा और हद से ज्यादा रासायनिक खादों का मिलना इसे दिन व दिन सुखी व मैली करती जा रही हैं | तो, वक़्त आ गया हैं की हमें गंगा जी को साफ करने के प्रक्रिया को शुरू कर देना चाहिए | नदी में कूड़े डालने के प्रति विरोध करके, नदि के किनारे उद्योगों की स्थापना को विरोध करते हुए, खेतों के अंदर रासायनिक खादों की रोक लगा कर , बृक्षों का रोपण करके हम लोग इन्हें बचा सकते हैं |

Answered by shreya202054
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नदियों को प्रभावित करने वाले मुद्दे असंख्य हैं और उन्हें समझना बिल्कुल सरल नहीं है। इनमें अक्सर अनुपचारित जल-मल और औद्योगिक कचरा भरा होता है और बड़े पैमाने पर भूमिगत जल निकासी के साथ-साथ इन्हें अवरुद्ध किया जाता है। इन्हें तमाम तरह से प्रदूषित किया जाता है। इस प्रदूषित पानी का असर उन लोगों पर पड़ता है जोकि सीमा पार नदी तट पर रहते हैं। इसके अतिरिक्त नदी घाटी में बाढ़ और सूखा एक सामान्य समस्या है जिसका असर फसलों, मवेशियों और बुनियादी ढाँचे पर पड़ता है। हिमनदों के पीछे हटने, आइस मास के कम होने, बर्फ के जल्दी पिघलने और सर्दियों में धारा प्रवाह के बढ़ने से जलवायु पर दबाव बढ़ रहा है। इससे पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन पहले से ही हिमालय की बर्फ को प्रभावित कर रहा है जिसका असर दीर्घकाल में गंगा पर भी दिखाई देगा।

नदी श्रृंखला को जगह-जगह पर पानी की गुणवत्ता चुनौती देती है। (i) गंगोत्री से ऋषिकेश तक गंगा में अनेक छोटी और तेजी से बहने वाली सहायक नदियाँ मिलती हैं लेकिन यहाँ तक गंगा मानव गतिविधियों से कम, और पनबिजली की कुनियोजित बाँध परियोजनाओं से ज्यादा प्रभावित होती है जिनके कारण अत्यधिक संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र और जैव-विविधता बर्बाद हो रही है। (ii) इसके बाद गंगा का मध्य विस्तार यानि ऋषिकेश से कानपुर, इलाहाबाद, पटना और फरक्का का जल मार्ग पृथक और सबसे अधिक प्रदूषित है जिसका कारण घरेलू, म्युनिसिपल, कृषि और औद्योगिक अपशिष्ट है। (जबकि नीचे की ओर बहने पर प्रदूषण का स्तर कम होता है)। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तरी बिहार के मैदानी इलाकों में भारी बाढ़ भी आती है। (iii) गंगा के आखिरी विस्तार में सुंदरवन आते हैं जो दुनिया के सबसे बड़े सक्रिय डेल्टा का हिस्सा और यहाँ नदी के पथ में जबरदस्त बदलाव आते हैं। इसमें लवणता आती है और ज्वारीय तूफान भी। यहाँ गंगा नदी तट देशों के बीच जल बँटवारे के संघर्ष का विषय बन जाती है। (आईआईटीसीए 2010)

गंगा में प्रदूषण के मुख्य कारण

गंगा की घाटी दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाली नदी घाटी मानी जाती है। यहाँ 60 करोड़ शहरी और ग्रामीण आबादी बसी हुई है या कहें तो देश की कुल आबादी का लगभग आधे से अधिक हिस्सा यहाँ रहता है। लेकिन यहाँ बहुत अधिक गरीबी है और पानी एवं स्वच्छता के बुनियादी ढाँचे का अभाव है या उसकी स्थिति संतोषजनक नहीं है। गंगा की घाटी मूल रूप से कृषि प्रधान है और यहाँ बसे शहरों में छोटे पैमाने पर, अनियमित और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग हैं। इसके अलावा तीर्थ या धार्मिक स्थल भी हैं। इसलिये प्रदूषण मूल रूप से अप्रबंधित सीवेज, सीपेज और ठोस कचरे के कारण फैलता है जोकि बड़ी आबादी, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि रसायनों और अपशिष्ट, धार्मिक चढ़ावे से उत्सर्जित होता है। सूखे के महीनों में नदी में कम प्रवाह होता है और जलवायु परिवर्तन के दौरान यह स्थिति और विकट हो जाती है।

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