गंगा की सफाई पर एक विज्ञापन तैयार कीजिए।30-50 में।
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गंगा’ शब्द सुनते ही पवित्रता की अनुभूति होती है क्या ये गंगा अब उतनी ही पवित्र है, जितनी की पूर्व में थी? हम भारतीयों के लिये गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है, ये हमारी सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी है, आज गंगा सिर्फ कूड़ा-कचरा बहाकर ले जाने वाली नाला बन के रह गई है।
गंगा की सफाई के लिये नई कोशिशें
2014 में नई सरकार के आने के बाद गंगा सफाई की नई पहल हुई है। जिसमें नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से लेकर घाटों की सफाई तथा जीर्णोंद्धार आदि प्रमुख हैं। लेकिन क्या ये कार्य गंगा सफाई के लिये पर्याप्त होंगे? इसमें सन्देह है।
गंगा की सफाई के लिये नई सोच
पहले और आज में गंगा में पानी की मात्रा में इतना मात्रात्मक परिवर्तन तो नहीं हुआ कि जिसकी वजह से नदी की स्वतः साफ होने वाली प्रवृत्ति ही नष्ट हो जाये।
इस विषम परिस्थिति का कारण आखिर क्या है? इसका कारण वह पॉलिथीन या प्लास्टिक कचरा है जो इन जीव-जन्तुओं के अस्तित्व के लिये घातक है।
लेकिन यह कार्य समझने में जितना आसान लगात है, करने में उतना आसान नहीं है क्योंकि नाले जो पानी बहता है और जो गंगा में प्रदूषित करता है उसमें सब प्रकार की गन्दगी मिली होती है। उसको अलग करना उतना आसान नहीं है। लेकिन इसके लिये हम एक योजना के तहत कार्यवाही करें तो सफलता अवश्य मिल सकती है।
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