गूंगे कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए
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गूँगे' कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं। मेरे अनुसार वह सहानुभूति का पात्र नहीं है, वह सम्मान का पात्र है। यदि उसे सही लोग मिलते तथा सही दिशा-निर्देश मिलता, तो वह हमारी तरह जीवन जी पाता। उसके जीवन में व्याप्त लोगों का व्यवहार उसे सहानुभूति का पात्र बना देता है। गूँगे की लड़ाई लोगों से नहीं अपितु उस समाज है, जो उसे समानता का अधिकार नहीं देते हैं। उसकी कमी उसे सहानुभूति का पात्र बना देती है। उसके साथ कहानी में जो-जो होता है, उसे पढ़कर मन में सहानुभूति फूट पड़ती है।
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