Hindi, asked by rajugan2003, 11 months ago

गंगा ने शांतनु को देवव्रत की किन विशेषताओं से अवगत कराया ​

Answers

Answered by udevi3919
14

गंगा ने शांतनु को बताया कि शास्त्र ज्ञान में शुक्र चार्य और रण कौशल में परशुराम ही देववर्त का मुकाबला कर सकते हैं यह कुशल योद्धा और चतुर राजनीतिज्ञ भी है

Mark as brainleast

Answered by hemantsuts012
0

Answer:

Concept:

गंगा ने देवव्रत की विशेषताओं का परिचय कराया कि इसे महर्षि वशिष्ठ द्वारा शिक्षा दिया गया है। इसके सामने शास्त्र ज्ञान में शुक्राचार्य और युद्धकला में परशुराम ही इसका मुकाबला कर सकते हैं।

Find:

गंगा ने शांतनु को देवव्रत की किन विशेषताओं से अवगत कराया

Given:

गंगा ने शांतनु को देवव्रत की किन विशेषताओं से अवगत कराया

Explanation:

गंगा ने देवव्रत की विशेषताओं का परिचय कराया कि इसे महर्षि वशिष्ठ द्वारा शिक्षा दिया गया है। इसके सामने शास्त्र ज्ञान में शुक्राचार्य और युद्धकला में परशुराम ही इसका मुकाबला कर सकते हैं।

एक बार गंगा एक सुंदर कन्या का रूप धारण किए हुए खड़ी थीं। कि राजा शांतनु उस पर आकर्षित हो गया था। राजा ने गंगा की बातें मानकर उससे विवाह कर लिया। समय पाकर गंगा से शांतनु के कई तेजस्वी पुत्र हुए। गंगा अपने पुत्र को पैदा होते ही नदी की धरा में बहाकर राजा शांतनु के महल में वापस आ जाती थी। राजा शांतनु उसके इस व्यवहार पर आश्चर्य चकित रह जाते थे। राजा को क्रोध आता था, पर वचन से बंधे रहने के कारण मन मसोस कर रह जाते थे। इस तरह गंगा ने सात बच्चों को नदी की धारा में बहा दिया।

गंगा ने तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया और आठवें बच्चे की बारी आई तब राजा शांतनु से नहीं रहा गया। उन्होंने इस घृणित कार्य को करने से गंगा को मना कर दिया। गंगा बोली- राजन क्या आप अपना वचन भूल गए। शर्त के अनुसार, मैं अब यहाँ नहीं ठहर सकती। अब मैं इस आठवें पुत्र को नदी में नहीं फेकूगी लेकिन आपके आठवें पुत्र को मैं कुछ समय पालूँगी और फिर आपको सौंप दूंगी। इसके बाद गंगा अपने पुत्र को लेकर चली गई। बड़ा होकर यही बच्चा आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से विख्यात हुआ। गंगा के चले जाने के बाद राजा शांतनु का मन भोग विलास से विरक्त हो गया और वे राज-काज में लगे।एक दिन राजा शांतनु शिकार खेलते-खेलते गंगा तट पर गए। वहाँ एक सुंदर गठीले • युवक को देखा जो नदी की बहती धारा में तीर चलाकर, उसकी प्रचंड धारा को रोक रहा था। राजा आश्चर्यचकित थे। इतने में वहाँ स्वयं गंगा आ गईं। उन्होंने राजा से कहा-

राजन पहचाना मुझे और इस युवक को यही आपका और मेरा आठवाँ पुत्र देवव्रत है। महर्षि वशिष्ठ ने इसे शिक्षा दी है। शास्त्र ज्ञान में शुक्राचार्य और रण-कुशल में परशुराम ही इसका मुकाबला कर सकते हैं। यह जितना, कुशल योद्धा है उतना ही कुशल राजनीतिज्ञ भी है अब मैं आपका पुत्र आपको सौंप रही हूँ। अब इसे आप अपने साथ ले जाइए। गंगा ने देवव्रत का माथा चूमा और आशीर्वाद देकर राजा के साथ विदा कर दिया।

#SPJ2

Similar questions