Science, asked by kalasingh454552, 5 days ago

*गंगा नदी के प्रदूषण के कुछ मुख्य स्रोत हैं: (1) घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट, (2) ठोस कचरा सीधे नदी में फेंका जाता है, और (3) कृषि अपवाह। कौन सा विकल्प इन समस्याओं का सीधा समाधान प्रदान करता है?* 1️⃣ शहरों के अपशिष्ट जल को रोकना और उसे दूसरी ओर मोड़ना 2️⃣ जनसंचार माध्यमों के द्वारा जन जागरूकता पैदा करना 3️⃣ औषधीय पौधों के उपयोग के माध्यम से वनीय उपचार 4️⃣ नदी तटाग्र का विकास और स्नान के लिए सुविधाएँ​

Answers

Answered by parthsarraf90
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1) किसान उपलब्ध मीठे पानी के संसाधनों का अति उपयोग नहीं करना चाहते, वे भूजल का संरक्षण करना चाहते हैं। सीवेज का पानी आसानी से उपलब्ध है लेकिन बुनियादी ढांचे और उचित उपचार की कमी के कारण, आंशिक रूप से उपचारित नगरपालिका अपशिष्ट जल और अनुपचारित सीवेज ने समय के साथ मिट्टी की गुणवत्ता, दूषित भूजल और फसल की उपज को कम कर दिया है।

2)जनसंचार जीवन की निशानी है। मनुष्य जब तक जीवित है, वह संचार करता रहता है। यहाँ तक कि एक बच्चा भी संचार के बिना नहीं रह सकता। वह रोकर या चिल्लाकर अपनी माँ का ध्यान अपनी ओर खींचता है। एक तरह से संचार खत्म होने का अर्थ है-मृत्यु। वैसे तो प्रकृति में सभी जीव संचार करते हैं लेकिन मनुष्य की संचार करने की क्षमता और कौशल सबसे बेहतर है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे सामाजिक प्राणी के रूप में विकसित करने में उसकी संचार क्षमता की सबसे बड़ी भूमिका रही है।।

3)औषधीय गुणों से भरपूर कालमेघ की खेती (Kalmegh Farming) किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है. इसका उपयोग आयुर्वेदिक, हौम्योपेथिक दवाइयों के निर्माण में किया जाता है. वैसे तो यह देश के वनीय क्षेत्रों में पाया जाता है, लेकिन इसके पौधे लगाकर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. भारत में कालमेघ की खेती मध्य प्रदेश, असम, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर, उड़ीसा तथा केरल प्रांत में होती है.

4) हिन्दू धर्म अनुसार स्नान और ध्यान का बहुत महत्व है। स्नान के पश्चात ध्यान, पूजा या जप आदि कार्य सम्पन्न किए जाते हैं। हमारे शरीर में 9 छिद्र होते हैं उन छिद्रों को साफ-सुधरा बनाने रखने से जहां मन पवित्र रहता है वहीं शरीर पूर्णत: शुद्ध बना रहकर निरोगी रहता है।

रूप, तेज, बल पवित्रता, आयु, आरोग्य, निर्लोभता, दुःस्वप्न का नाश, तप और मेधा यह दस गुण प्रातः स्नान करने वाले को प्राप्त होते हैं। अतएव लक्ष्मी, पुष्टी व आरोग्य की वृद्धि चाहने वाले मनुष्य को सदेव स्नान करना चाहिए ।

Answered by yutikasinghal
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shahro k apashisht jal ko rokna or use dusri or modna.

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Explanation:

answer kya hoga

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