गंगा नदी पर 4 से 6 पंक्तियों की कविता
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hi mate here is your poem
नदियों के जल जब निर्मल होंगे,
गंगा जल अमृत बन जाएगा।
जन-जन में जब आस जागेगी,
गंदगी न कोई फैलाएगा।
मुर्दाघाट जब अलग बनेगा,
कोई लाश नहीं दफनाएगा।
स्नान हेतु लोग आया करेंगे,
कर के स्नान चले जाएंगे।
फिर दूषित न हो पाएगा,
सब जल में दीप जलाएंगे।
हर-हर गंगा लोग करेंगे,
फिर वह मौसम आएगा।
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