गंगा और मैं लघु कथा
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गंगा की कहानी:
हिंदू धर्म में, गंगा नदी को पवित्र माना जाता है और देवी गंगा के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। वह हिंदुओं द्वारा पूजा की जाती है जो मानते हैं कि नदी में स्नान करने से पापों का निवारण होता है और मोक्ष (जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति) की सुविधा मिलती है और गंगा का पानी बहुत शुद्ध माना जाता है। तीर्थयात्री अपने परिजनों की राख को गंगा में विसर्जित करते हैं, जो उनके द्वारा आत्माओं को मोक्ष के करीब लाने के लिए माना जाता है।
गंगा को मधुर, सौभाग्यशाली, बहुत दूध देने वाली गाय, अनंत रूप से शुद्ध, रमणीय, मछली से भरा हुआ शरीर, आंखों को प्रसन्न करने वाला और खेल में पहाड़ों पर छलांग लगाने वाला, बिस्तर को सर्वश्रेष्ठ बनाने वाला और पानी देने वाला बताया गया खुशी, खुशी और वह सब जो जीवन जीता है।
हिंदुओं के लिए पवित्र कई स्थान गंगा के किनारे स्थित हैं, जिनमें गंगोत्री, हरिद्वार, इलाहाबाद और वाराणसी शामिल हैं। थाईलैंड में लोय क्रथोंग त्योहार के दौरान, अच्छे भाग्य के लिए गौतम बुद्ध और देवी गंगा को सम्मानित करने और संस्कृत में पाप को धोने के लिए कैंडललाइट फ़्लोट को जलमार्ग में छोड़ा जाता है, जो नैतिक और नैतिक संहिताओं का उल्लंघन करके नकारात्मक कर्मों का वर्णन करता है, जो लाता है नकारात्मक परिणाम)।
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Answer:
मैं बनारस में रहा और वहीं पला-बढ़ा। बचपन में अक्सर पिताजी मुझे अपने साथ गंगा नदी के तट पर ले जाया करते थे। अतः मेरा जुड़ाव बचपन से ही उसके साथ रहा। बड़े होने पर गंगा मैया के पास जा शांति व सुकून की अनुभूति होती है। निर्मल, पवित्र व कल-कल करते जल में स्नान करने पर एक अनोखी ताजगी से मन भर जाता है। शाम के समय गंगा की आरती का दृश्य निराला होता है। दूर देशों से अनेक लोग उसे देखने आते हैं। लेकिन एक दिन वहाँ घटी घटना को याद कर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैं अपने एक मित्र के साथ गंगा घाट गया था। वर्षा के दिन थे। गंगा अपने पूरे उफान पर थी। अचानक मेरे मित्र का पैर फिसला और अगले ही पल वह गहरे पानी में हाथ-पैर मार रहा था। यह सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैं घबराकर चीखने लगा। लोग जमा होने लगे लेकिन पानी का बहाव देख किसी की आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हो रही थी। तैरना मैं भी जानता था अतः मैंने ही उसे बचाने का निश्चय किया। मैं गंगा मैया का नाम ले कूद गया। मैं सफल रहा। लोगों ने हमें तत्काल अस्पताल पहुँचाया। थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो देखा सब मेरी बहादुरी की प्रशंसा कर रहे थे और मैं बार-बार मन ही मन गंगा मैया का धन्यवाद कर रहा था। मुझे ही पता है कि मैया ने ही मेरी सहायता की थी वरना उस दिन मैं और मेरा मित्र काल के गाल में समा चुके होते। जय हो गंगा मैया की।
सीख-समय पर अपनी त्वरित सूझबूझ व बुद्धि से निर्णय लेना चाहिए।