गंगा और
धरातलीय जल ही उपयोग के लिए उपलब्ध है। कुल धरातलीय जल का लगभग 60 प्रतिशत भाग भारत की तीन प्रमुख नदियों मिथु
ब्रह्मपुत्र
में से होकर बहता है।
भौम अथवा भूगर्भिक जल ; देश में भूगर्भिक जल का वितरण बड़ा असमान है। इस पर चट्टानों की संरचना, धरातलीय दशा, जलापूर्ति
की दशा आदि तत्वों का प्रभाव पड़ता है। भारत के समतल मैदानी भागों में स्थित जलज चट्टानों वाले अधिकांश भागों में, भूगर्भिक
जल की अपार राशि विद्यमान है। यहाँ पर प्रवेश्य चट्टानें पाई जाती हैं, जिनमें से जल आसानी से रिसकर 'भूगर्भिक जल का रूप ध
गरण कर लेता है। भारत के उत्तरी मैदान में पंजाब से लेकर ब्रह्मपुत्र घाटी तक भूगर्भिक जल के विशाल भंडार हैं। लगभग 42 प्रतिशत
से भी अधिक भौम जल भारत के विशाल मैदानों में पाया जाता है। इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठारी भाग कठोर तथा अप्रवेशनीय चट्टानां
का बना हुआ है, जिनमें से जल रिसकर नीचे नहीं जा सकता। इसलिए इस क्षेत्र में भूगर्भिक जल का अभाव है।
(ii) जल संसाधनों का ह्रास सामाजिक द्वंद्रों और विवादों को जन्म देते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरणों सहित समझाइए।
उत्तर जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ जल की माँग भी बढ़ रही है। इसके विपरीत जल की आपूर्ति एक निश्चित सीमा तक ही हो सकती
है। यह सीमित आपूर्ति भी अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण अथवा अप्रबंधन के कारण उपयोग के अयोग्य हो सकती है। इस दुर्लभ संसाधन
के आवंटन और नियंत्रण पर तनाव और लड़ाई-झगड़े; संप्रदायों, प्रदेशों और राज्यों के बीच विवाद का विषय बन गए
भारत की अधिकांश नदियाँ अन्तर्राज्यीय विवादों से ग्रस्त हैं। देश की लगभग सभी नदियाँ एक से अधिक राज्यों में बहती हैं और
उनका जल भी विभिन्न राज्यों द्वारा प्रयोग किया जाता है। निम्नलिखित अन्तर्राज्यीय नदी विवादों का वर्णन आवश्यक है-
(क) तमिलनाडु, कर्नाटक तथा केरल के बीच कावेरी जल विवाद।
(ख) महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी जल विवाद।
(ग) गुजरात, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के बीच नर्मदा जल विवाद।
(ङ) पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के बीच सतलुज-यमुना लिंक नहर पर विवाद।
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वन-वर्धन का समग्र रूप में विकास किया जा सकता है।
(घ) पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर तथा दिल्ली के बीच रावी एवं व्यास जल विवाद।
(iii) जल-संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है?
उत्तर जल-संभर प्रबंधन : जल-संभर एक ऐसा क्षेत्र है, जिसका जल एक विद् की ओर प्रवाहित होता है, जो इसे मृदा और जल
की आदर्श नियोजन इकाई बना देता है। इसमें एक या अनेक गाँव, कृषि योग्य और कृषि अयोग्य भूमि और विभिन्न
और किसान शामिल हो सकते हैं। जल-संभर विधि से कृषि और कृषि से संबंधित क्रियाकलापों:
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