'गुँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता था' - सिद्ध कीजिए।
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कोई भी गूंगा व्यक्ति या अन्य विकलांगता से पीड़ित व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से दया या सहानभूति नही चाहता क्योंकि गूंगा होना या ना उसके हाथ मे नही था ये विकलांगता वह कभी नही चाहता था सिर्फ वही नही संसार का कोई भी व्यक्ति कभी ऐसा नही चाहेगा कि वो गूंगा या किसी और विकलांग बीमारी का शिकार बने कोई भी व्यक्ति जब किसी अन्य व्यक्ति को दया या सहानभूति देता है तो वह व्यक्ति उस अन्य व्यक्ति को हीन भावना से देखता है और कोई भी व्यक्ति ये कभी नही चाहेगा कि कोई उसे हीन दृष्टि से या हीन भावना से देखे फिर चाहे वह कोई गूंगा ही क्यों ना हो ।
हर व्यक्ति का अपना एक आत्मसम्मान होता है और हर व्यक्ति यही चाहता है कि सब उसका सम्मान करें आखिरकार हर व्यक्ति अपने सम्मान के साथ ही जीना चाहता है और जब कोई गूंगे को अपनी दया वाली दृष्टि से देखता है तो उस गूंगे व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुचती है वो अपना अधिकार लेना चाहता का ना की किसी के दया या सहानभूति और किसी का एहसान तो बलकुल नही क्योंकि हमेशा दया दिखाने वाला यही सोचता है कि वह इस गूंगे व्यक्ति के ऊपर कोई एहसान कर रहा है
इसलिए गूंगे व्यक्ति को किसी का एहसान नही अपना अधिकार चाहिए और यही संसार के हर व्यक्ति की सोच होनी चाहिए कि हमे किसी के दया की जरूरत नही है हमे सिर्फ हमारा हक चाहिए।