गांगय भयरत की एक अत्यन्त पनर्त्र ििी हैनिसकय िि कयफी नििोांतक रििेके बयर्िूि अशुद्ध िही ां होतय िबनक सयधयरण िि कु छ नििोांमेंही सड़ ियतय है। गांगय कय उद्गम स्थि गांगोत्री यय गोमुि है। गोमुि सेभयगीरथी ििी निकिती हैऔर िेर्प्रययग ियमक स्थयि पर अिकिांिय ििी सेनमिकर आगेगांगय के रूप मेंप्रर्यनहत होती है। भयगीरथी के िेर्प्रययग तक आते-आतेइसमेंकु छ चट्टयिेंघुि ियती हैंनिससे इसके िि मेंऐसी क्षमतय पैिय हो ियती हैिो उसके पयिी को सड़िेिही ांिेती। हर ििी के िि मेंकु छ ियस तरह के पियथवघुिेरहतेहैंिो उसकी नर्नशष्ट िैनर्क सांरचिय के निए उत्तरिययी होतेहैं। येघुिेहुए पियथवपयिी मेंकु छ ियस तरह के बैक्टीररयय को पिपिेिेतेहैंतो कु छ को िही ां। कु छ ियस तरह के बैक्टीररयय ही पयिी की सड़ि के निए उत्तरिययी होतेहैंतो कु छ पयिी मेंसड़ि पैिय करिेर्यिेकीटयणुओां को रोकिेमेंसहययक होतेहैं। र्ैज्ञयनिक शोधोां सेपतय चितय हैनक गांगय के पयिी मेंभी ऐसेबैक्टीररयय हैंिो गांगय के पयिी मेंसड़ि पैिय करिेर्यिेकीटयणुओां को पिपिेही िही ांिेते इसनिए गांगय कय पयिी कयफी िांबेसमय तक िरयब िही ांहोतय और पनर्त्र मयिय ियतय है। हमयरय मि भी गांगय के पयिी की तरह ही होिय चयनहए तभी र्ह निमवि मयिय ियएगय। निस प्रकयर पयिी को सड़िेसेरोकिेके निए उसमेंउपयोगी बैक्टीररयय की उपखस्थनत अनिर्ययवहैउसी प्रकयर मि मेंनर्चयरोांके प्रिू षण को रोकिेके निए सकयरयत्मक नर्चयरोांके निरांतर प्रर्यह की भी आर्श्यकतय है। हम अपिेमि को सकयरयत्मक नर्चयर रूपी बैक्टीररयय द्वयरय आप्लयनर्त करके ही गित नर्चयरोां को प्रनर्ष्ट होिेसेरोक सकते हैं। िब भी कोई िकयरयत्मक नर्चयर उत्पन्न हो सकयरयत्मक नर्चयर द्वयरय
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