Hindi, asked by ristandur4305, 9 hours ago

गृह कार्य का महत्व बताते हुए १०लाइन

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Answered by ProdoshChandraMitro
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Explanation:

1. विद्यार्थियों के सीखने की क्षमता का पता लगता है:

कभी-कभी कक्षा में टीचर्स द्वारा किसी टॉपिक को पढ़ाने के बाद विद्यार्थी बोलते हैं कि उन्हें वह टॉपिक अच्छे से समझ आ गया और जब अगले दिन पढ़ाये गये टॉपिक पर आधारित होमवर्क चेक होता है तो टीचर्स आसानी से समझ लेते हैं कि विद्यार्थियों को टॉपिक समझ नहीं आया, जिससे टीचर्स टॉपिक को समझाने के लिए कोई नया तरीका ढूंढ लेते हैं और विद्यार्थी को टॉपिक समझा देते हैं.

2. समय प्रबंधन (Time Management) और Priority स्किल्स बढ़ती है:

विद्यार्थियों के 24 घंटों में से 7-10 घंटें स्कूल और कोचिंग संस्थान में चले जाते हैं. जिससे उनके पास बहुत ही सीमित समय होता है. होमवर्क के दौरान विद्यार्थी चीजों को प्राथमिकता (Priority) देने के स्किल्स के बारे में सीखते हैं. इसके साथ विद्यार्थी काम करने की productivity को बढ़ाने के नए-नए तरीकों के बारे में सीखते हैं जिससे उनकी समय प्रबंधन स्किल्स भी अच्छी हो जाती है.

3. Problem Solving स्किल्स बढ़ती है:

जब विद्यार्थी घर पर होमवर्क करते हैं, तो वो उसको पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करते है फिर चाहे वह इन्टरनेट से सहायता लेना हो या फिर अपने माता-पिता से. इससे विद्यार्थियों की प्रॉब्लम सोल्विंग स्किल्स बढ़ती है और वो अपने जीवन में किसी भी प्रॉब्लम को आसानी से हल कर लेते हैं.

4. कक्षा में विद्यार्थियों की एकाग्रता बढ़ती है:

जब टीचर कक्षा में विद्यार्थियों को कोई टॉपिक पढ़ता है, तब विद्यार्थियों को लगता है कि यह टॉपिक तो बहुत ही आसान होगा, जिसके कारण विद्यार्थी टॉपिक को ध्यान लगाकर नहीं पढ़ते ,किन्तु जब टीचर्स विद्यार्थियों को उसी टॉपिक पर आधारित होमवर्क देते हैं और फिर छात्रों को उस होमवर्क को पूरा करने में दिक्कत आती है तो उनको यह समझ आता है कि कक्षा में टीचर की बात सुनना कितना ज़रूरी है तो इस तरह से छात्रों को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास होता है. विद्यार्थियों को इस चीज़ का भी अंदाज़ा हो जाता है कि टॉपिक को अच्छे से समझाने के लिए नोट्स बनाते समय टीचर्स को कितनी मेहनत करनी पड़ती है . इसलिए हमको (छात्रों को) टीचर की मेहनत और अपने समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए,

5. माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई पर नज़र रख पाते हैं:

जब कोई विद्यार्थी होमवर्क में सहायता लेने के लिए अपने माता-पिता के पास जाता है, तो उनको आसानी से पता चल जाता है कि उनका बच्चा पढ़ाई में कैसा है और उसको पढ़ाई करने में कहाँ ज़्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिससे माता-पिता कोचिंग संस्थान या स्कूल में जाकर टीचर से पढ़ाई के लेवल से सम्बंधित बात कर सकते हैं और अपने बच्चों के पढ़ाई करने के तरीके में सुधार करने में सहायता कर सकते हैं.

निष्कर्ष:

कभी-कभी न केवल विद्यार्थी बल्कि उनके माता-पिता भी सोचने लगते हैं कि स्कूल और कोचिंग संस्थान के टीचर्स उनके बच्चों को होमवर्क क्यों देते हैं. माता-पिता अपने बच्चों के होमवर्क की सहायता से आसानी से पढ़ाई में उनकी progress का पता लगा सकते हैं और अपने बच्चों के पढ़ाई करने के तरीके में सुधार करने में सहायता कर सकते हैं. इसलिए विद्यार्थियों को होमवर्क को बोझ नहीं समझना चाहिए और स्कूल या कोचिंग संस्थान के टीचर्स द्वारा दिए गये होमवर्क को समय पर पूरा करना चाहिए. होमवर्क देने का जो मकसद था कि छात्र इससे कुछ सीखें और अपने कॉन्सेप्ट को किसी विशेष टॉपिक के लिए मज़बूत करें.

Answered by namitamehta65
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Answer:

विध्यालाल मे दिया जने वला गृह कार्य

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