गेहूं के दाने का चारों बहने ने क्या किया
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राजा ने चारों बेटियों को गेहूं के सौ-सौ दीने दिए और कहा, ''इसे तुम अपने पास रखो, 5 साल बाद मैं जब इन्हें मांगूंगा तब तुम सब मुझे वापस कर देना |'' पहली बहन ने यह सोचा कि, 'आज से 5 साल बाद पिताजी को गेहूं के दानों की याद रहेगी नहीं | अगर याद रहा तो मैं उन्हें भंडार लेकर दे दूंगी |' दूसरी बहन ने दानों को चांदी की एक डिब्बी में डालकर उसे मखमल के थैले में बंद करके सुरक्षा से अपनी संदुकची में डाल दिए | कैसी बहन ने दानों को अपनी खिड़की के बाहर वाली खाली जमीन में बो दिए और 5 साल बाद वेदाने लाखो दानों में तब्दील हो गए यानी के वे दाने तीसरी बहन ने बोए थे | चौथी बहन तनिक बच्ची थी | शरारती करना उसे बहुत पसंद था | उसे गेहूं के बुने दाने भी बहुत पसंद थी | उसने दानों को बनवा कर खा डाला और खेल में मग्न हो गई |
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