Social Sciences, asked by qosarnaaz945, 4 months ago

गेहूं की दुनिया खत्म होने जा रही है वे स्थान दुनिया जो आरती का राजनीतिक रूप से हम सब पर छाई हुई हैं संदर्भ प्रसंग व्याख्या​

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Answered by wwwns8866
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Answer:

जब मानव पृथ्‍वी पर आया, भूख लेकर। क्षुधा, क्षुधा, पिपासा, पिपासा। क्‍या खाए, क्‍या पिए? माँ के स्‍तनों को निचोड़ा, वृक्षों को झकझोरा, कीट-पतंग, पशु-पक्षी – कुछ न छुट पाए उससे !

गेहूँ – उसकी भूख का काफला आज गेहूँ पर टूट पड़ा है? गेहूँ उपजाओ, गेहूँ उपजाओ, गेहूँ उपजाओ !

मैदान जोते जा रहे हैं, बाग उजाड़े जा रहे हैं – गेहूँ के लिए।

बेचारा गुलाब – भरी जवानी में सि‍सकियाँ ले रहा है। शरीर की आवश्‍यकता ने मानसिक वृत्तियों को कहीं कोने में डाल रक्‍खा है, दबा रक्‍खा है।

किंतु, चाहे कच्‍चा चरे या पकाकर खाए – गेहूँ तक पशु और मानव में क्‍या अंतर? मानव को मानव बनाया गुलाब ने! मानव मानव तब बना जब उसने शरीर की आवश्‍यकताओं पर मानसिक वृत्तियों को तरजीह दी।

यही नहीं, जब उसकी भूख खाँव-खाँव कर रही थी तब भी उसकी आँखें गुलाब पर टँगी थीं।

उसका प्रथम संगीत निकला, जब उसकी कामिनियाँ गेहूँ को ऊखल और चक्‍की में पीस-कूट रही थीं। पशुओं को मारकर, खाकर ही वह तृप्‍त नहीं हुआ, उनकी खाल का बनाया ढोल और उनकी सींग की बनाई तुरही। मछली मारने के लिए जब वह अपनी नाव में पतवार का पंख लगाकर जल पर उड़ा जा रहा था, तब उसके छप-छप में उसने ताल पाया, तराने छोड़े ! बाँस से उसने लाठी ही नहीं बनाई, वंशी भी बनाई।

Answered by Anonymous
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दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या निम्न प्रकार से ही गई है।

संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियां रामवृक्ष बेनीपुरी लिखित निबंध "गेहूं बनाम गुलाब" से ली गई है। इन पंक्तियों के माध्यम से बेनीपुरीजी गेहूं तथा गुलाब का हमारे जीवन में महत्व बताते है। वे कहते हैं कि गेहूं हमारी भूख शांत करता है तथा गुलाब हमें मानसिक शांति प्रदान करता है।

व्याख्या - लेखक कहते है कि गेहूं भौतिक , आर्थिक तथा राजनीतिक प्रगति का प्रतीक है तथा गुलाब मानसिक शांति का प्रतीक है। उनका कहना है कि मनुष्य के सुखी जीवन के लिए गेहूं तथा गुलाब दोनों में संतुलन होना आवश्यक है , वे कहते हैं कि यदि दोनों में संतुलन नहीं रहा तो दुनिया का नष्ट होना निश्चित है।

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