गृह विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करके तुम कौन-कौन से व्यवासाय अपना सकते हो ?
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गृह विज्ञान (Home Sciences) शिक्षा की वह विधा है जिसके अन्तर्गत पाक शास्त्र, पोषण, गृह अर्थशास्त्र, उपभोक्ता विज्ञान, बच्चों की परवरिश, मानव विकास, आन्तरिक सज्जा, वस्त्र एवं परिधान, गृह-निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।
ऐतिहासिक रूप से जब बालकों को कृषि या 'शॉप' (लोहारी, बढ़ईगिरी, आटो की मरम्मत) आदि की शिक्षा दी जाने लगी तो बालिकाओं के लिये इस विषय के शिक्षण की आवश्यकता महसूस की गयी।
भारतीय स्त्रियों को कुशल आधुनिक गृहिणी बनाने के लिए तैयार किये गये पाठ्यक्रम को गृह-विज्ञान की संज्ञा दी जाती है। इसे अमेरिका में प्रचलित घरेलू अर्थशास्त्र (होम इकॉनॉमिक्स) और ब्रिटेन में प्रचलित घरेलू विज्ञान (डोमेस्टिक साइंस) की शिक्षण सामग्री के मेल-जोल से तैयार किया गया है। इस पाठ्यक्रम में घरेलू अर्थशास्त्र, कढ़ायी-बिनायी-सिलायी, शिशुओं का लालन-पालन, नैतिक शिक्षा तथा गृह कार्यों में व्यवस्था एवं स्वच्छता जैसे विषय शामिल किये जाते हैं। गृह-विज्ञान के आलोचक इसे स्त्रियों को परिचित और सीमित घरेलू भूमिका में बाँधे रखने, पितृसत्ता कायम रखने और स्त्रियों को राजनीतिक रूप से निष्क्रिय बनाये रखने का षड़यंत्र मानते हैं। दूसरी तरफ़ गृह-विज्ञान को भारतीय घर के दायरे में एक शुरुआती सीमा तक आधुनिकता और राष्ट्रवाद का वाहक भी माना जाता है।