गृहकार्य तैयारी पर निबंध
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घरेलु काम हर घर में गृहणी को ही करना पड़ता है इससे वो काफी थक भी जाती हैं| मेरा मानना है की बच्चे जब काम करने लायक बड़े हो जाए तो उन्हें पिता माता के साथ घर के कामो में हाथ बटाना चाहिए| इससे उनको काम सीखने को मिलता है एवं माता पिता को मदद होती है और माता पिता को थकान कम होगी|
समय के साथ साथ बच्चे बड़े होते जाते हैं और माता पिता वृद्ध| वृद्धावस्था कमजोरी के अलावा कई बीमारयां जैसे कीBP, Diabetes, Arthritis वगैरा भी वृद्ध माता पिता को घेर लेती हैं| इससे उनके काम करने की क्षमता घट जाती है| यदि बच्चों की मदद मिलजाए तो काम आसानी से निपट जाता है वर्ना वृद्ध माता पिता को अकेले संघर्ष करना पड़ता है जो की मानवता के विरुद्ध है|
समय के साथ साथ बच्चे बड़े होते जाते हैं और माता पिता वृद्ध| वृद्धावस्था कमजोरी के अलावा कई बीमारयां जैसे कीBP, Diabetes, Arthritis वगैरा भी वृद्ध माता पिता को घेर लेती हैं| इससे उनके काम करने की क्षमता घट जाती है| यदि बच्चों की मदद मिलजाए तो काम आसानी से निपट जाता है वर्ना वृद्ध माता पिता को अकेले संघर्ष करना पड़ता है जो की मानवता के विरुद्ध है|
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प्रायः घरेलु काम हर घर में गृहणी को ही करना पड़ता है इससे वो काफी थक भी जाती हैं| मेरा मानना है की बच्चे जब काम करने लायक बड़े हो जाए तो उन्हें पिता माता के साथ घर के कामो में हाथ बटाना चाहिए| इससे उनको काम सीखने को मिलता है एवं माता पिता को मदद होती है और माता पिता को थकान कम होगी|
समय के साथ साथ बच्चे बड़े होते जाते हैं और माता पिता वृद्ध| वृद्धावस्था कमजोरी के अलावा कई बीमारयां जैसे कीBP, Diabetes, Arthritis वगैरा भी वृद्ध माता पिता को घेर लेती हैं| इससे उनके काम करने की क्षमता घट जाती है| यदि बच्चों की मदद मिलजाए तो काम आसानी से निपट जाता है वर्ना वृद्ध माता पिता को अकेले संघर्ष करना पड़ता है जो की मानवता के विरुद्ध है|
ख़ास करके लड़किओं को तो तो माता के साथ गृह कार्यों में एवं रसोई में मदद करनी ही चाहिए| इससे पुत्रियां गृह कार्य और रसोई में निपुण हो जाती है और शादी के बाद उनको सुसराल के नए लोगों के साथ और और नए वातावरण में कोई दिक्कत नहीं होती| इतना ही नहीं बल्कि उनकी और सास, सुसर, पति और दूसरे सुसराल वाले परिवारजनों का प्यार बढ़ जाता है और इज्जित बढ़ जाती है | अन्यथा गृह कार्य और रसोई बनने की कला सीखे बिना जिन लड़कियों की शादी हो जाती है उन्हें सुसराल में काफी कटी जली बाते सुनने को मिलती हैं और वे काफी दुखी भी होजाती हैं| कई कई बार तो काम का ना आना तलाक का कारण भी बन जाता है जो की बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण और दुखद है|
जहाँ तक लड़कों का सवाल है, उनको भी माँ के साथ रसोई में हाथ बटा कर भोजन बनना सीख लेना चाहिए| ताकि कभी भी उनको पढाई के हेतु या नौकरी के हेतु दूसरे शहर या गाओं में जाना पड़े तो उनको खाने की कोई तकलीफ न पड़े| जो खाना बनाना नहीं जानते उनको होटल या ढाबे का जैसा भी मिले खाना पड़ता है जो की बहुत ही मंहगा और स्वास्थ्य के किये ख़राब होता है| वैसे आजकल फ़ास्ट फ़ूड का फैशन और चलन काफी ही ज्यादा है जिसमे की पिज़्ज़ा, बर्गर, स्प्रिंगरोल इत्यादि का समावेश होता है| इन्हे सही माने में जंक फ़ूड भी कहा जाता है| जंक का हिंदी अर्थ होता है "कचरा" / "कबाड़" इस फ़ूड के सेवन से मोटापा और वजन अत्यधिक बढ़ जाता है और कई कई बीमारयां पैदा हो जाती है| और खाने वाले की कार्य क्षमता घट जाती है| अतः जंक फ़ूड से दूर रहना चाहिए और खुद का बनाया हुवा खाना खाना चाहिए जिसका कि मजा ही कुछ और है|
मुझे याद है मिडिल स्कूल में स्काउटिंग और 'NCC में लड़कों को खाना बनाना, अपने कपडे खुद धो लेना और उनको इस्त्री करलेना सिखाया जाता था| कई कैंप का आयोजन किया जाता था जिसमे की लड़कों को ये सब काम अपने आप करलेने होते थे| इससे लड़के इन सब कार्यों में निपुण होजाते हैं और स्वावलम्बी बन जाते हैं|
सारांश में बच्चों को माता पिता के साथ घर के कामो में हाथ बढ़ाना चाहिए जो की उनके और माता पिता दोनों के हित में है
समय के साथ साथ बच्चे बड़े होते जाते हैं और माता पिता वृद्ध| वृद्धावस्था कमजोरी के अलावा कई बीमारयां जैसे कीBP, Diabetes, Arthritis वगैरा भी वृद्ध माता पिता को घेर लेती हैं| इससे उनके काम करने की क्षमता घट जाती है| यदि बच्चों की मदद मिलजाए तो काम आसानी से निपट जाता है वर्ना वृद्ध माता पिता को अकेले संघर्ष करना पड़ता है जो की मानवता के विरुद्ध है|
ख़ास करके लड़किओं को तो तो माता के साथ गृह कार्यों में एवं रसोई में मदद करनी ही चाहिए| इससे पुत्रियां गृह कार्य और रसोई में निपुण हो जाती है और शादी के बाद उनको सुसराल के नए लोगों के साथ और और नए वातावरण में कोई दिक्कत नहीं होती| इतना ही नहीं बल्कि उनकी और सास, सुसर, पति और दूसरे सुसराल वाले परिवारजनों का प्यार बढ़ जाता है और इज्जित बढ़ जाती है | अन्यथा गृह कार्य और रसोई बनने की कला सीखे बिना जिन लड़कियों की शादी हो जाती है उन्हें सुसराल में काफी कटी जली बाते सुनने को मिलती हैं और वे काफी दुखी भी होजाती हैं| कई कई बार तो काम का ना आना तलाक का कारण भी बन जाता है जो की बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण और दुखद है|
जहाँ तक लड़कों का सवाल है, उनको भी माँ के साथ रसोई में हाथ बटा कर भोजन बनना सीख लेना चाहिए| ताकि कभी भी उनको पढाई के हेतु या नौकरी के हेतु दूसरे शहर या गाओं में जाना पड़े तो उनको खाने की कोई तकलीफ न पड़े| जो खाना बनाना नहीं जानते उनको होटल या ढाबे का जैसा भी मिले खाना पड़ता है जो की बहुत ही मंहगा और स्वास्थ्य के किये ख़राब होता है| वैसे आजकल फ़ास्ट फ़ूड का फैशन और चलन काफी ही ज्यादा है जिसमे की पिज़्ज़ा, बर्गर, स्प्रिंगरोल इत्यादि का समावेश होता है| इन्हे सही माने में जंक फ़ूड भी कहा जाता है| जंक का हिंदी अर्थ होता है "कचरा" / "कबाड़" इस फ़ूड के सेवन से मोटापा और वजन अत्यधिक बढ़ जाता है और कई कई बीमारयां पैदा हो जाती है| और खाने वाले की कार्य क्षमता घट जाती है| अतः जंक फ़ूड से दूर रहना चाहिए और खुद का बनाया हुवा खाना खाना चाहिए जिसका कि मजा ही कुछ और है|
मुझे याद है मिडिल स्कूल में स्काउटिंग और 'NCC में लड़कों को खाना बनाना, अपने कपडे खुद धो लेना और उनको इस्त्री करलेना सिखाया जाता था| कई कैंप का आयोजन किया जाता था जिसमे की लड़कों को ये सब काम अपने आप करलेने होते थे| इससे लड़के इन सब कार्यों में निपुण होजाते हैं और स्वावलम्बी बन जाते हैं|
सारांश में बच्चों को माता पिता के साथ घर के कामो में हाथ बढ़ाना चाहिए जो की उनके और माता पिता दोनों के हित में है
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