(ग) 'हमारे हरि हारिल की लकरी'-जैसी काव्य-पंक्ति द्वारा महाकवि सूरदास क्या संदेश देना चाहते हैं?
mों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में लिखिए-
Answers
Answer:
गोपियाँ प्रेमपंथ की पथिक थीं और उद्धव नीरस योग के साधक और समर्थक। वह गोपियों की विरह वेदना को समझ पाने में असमर्थ थे। अत: गोपियों ने हारिल पक्षी के उदाहरण से अपनी बात आरम्भ की। उन्होंने उद्धव से कहा कि उनके लिए श्रीकृष्ण’ हारिल की लकड़ी’ के समान हैं। जैसे हारिल पक्षी सदा वृक्ष की टहनी पंजे में दबाए रहता है, उसी प्रकार गोपियों के जीवन में कृष्ण समाए हुए हैं। उन्हें त्याग कर योग पथ को अपनाना उनके लिए किसी भी प्रकार सम्भव नहीं है।Read more on Sarthaks.com - https://www.sarthaks.com/765046/?show=765049#a765049
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गोपियाँ प्रेमपंथ की पथिक थीं और उद्धव नीरस योग के साधक और समर्थक। वह गोपियों की विरह वेदना को समझ पाने में असमर्थ थे। अत: गोपियों ने हारिल पक्षी के उदाहरण से अपनी बात आरम्भ की। उन्होंने उद्धव से कहा कि उनके लिए श्रीकृष्ण’ हारिल की लकड़ी’ के समान हैं। जैसे हारिल पक्षी सदा वृक्ष की टहनी पंजे में दबाए रहता है, उसी प्रकार गोपियों के जीवन में कृष्ण समाए हुए हैं। उन्हें त्याग कर योग पथ को अपनाना उनके लिए किसी भी प्रकार सम्भव नहीं है।
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