(ग) इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो।
रहे समक्ष हिम शिखर,
तुम्हारा प्रण उठे निखर.
भले ही जाए तन बिखर,
रुको नहीं,
झुको नहीं,
बढ़े चलो,
बढे चलो।
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Explanation:
इस पंक्ति से हमें यह समझ में आता है कि चाहे हम हिमालय के शिखर पर खड़े हैं हमें अच्छे से आगे बढ़ना चाहिए बिना डरे और बिना बिखरे हुए हमें रुकना नहीं चाहिए और झुकना भी नहीं चाहिए सिर्फ बढ़े आगे बढ़े चलना चाहिए हमारी मार्ग के तरफ
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