गुजरात एवं बिहार के छात्र आंदोलन की व्याख्या कीजिए।
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Answer:
बिहार में चले छात्र आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन का रूप लिया। यह आंदोलन मार्च 1974 में छात्रों द्वारा बढ़ती कीमतों, खाद्यान्नों की उपलब्धि के अभाव, बढ़ती बेरोजगारी, शासन में फैले भ्रष्टाचार, आम आदमी के दुखों की और राज्य सरकार की अनदेखी आदि के आधार पर चलाया गया।
उत्तर:
उस समय के आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, गुजरात में चिमनभाई पटेल सरकार के खिलाफ छात्र विद्रोह ने जयप्रकाश नारायण के 'बिहार आंदोलन' को अशांत 1970 के दशक के दौरान प्रेरित किया, जो अंततः आपातकाल का कारण बना।
व्याख्या:
गुजरात आंदोलन: जब वस्तुओं की कीमतें दैनिक आधार पर बढ़ने लगीं, तो गुजरात में छात्रों ने अनाज, खाना पकाने के तेल और अन्य आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ उच्च स्थानों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। जनवरी 1974 में, छात्रों के विरोध में प्रमुख विपक्षी दल शामिल हो गए और व्यापक हो गए, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। विपक्षी दलों ने नए राज्य विधानसभा चुनाव की मांग की। मोरारजी देसाई, एक प्रभावशाली कांग्रेस (ओ) नेता, जो कांग्रेस में रहते हुए इंदिरा गांधी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे, ने राज्य में नए चुनाव नहीं होने पर अनिश्चितकालीन उपवास की घोषणा की। गुजरात में जून 1975 में भारी विधानसभा चुनाव हुए। छात्रों और राजनीतिक विपक्षी दलों का दबाव। इस चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी।
बिहार आंदोलन: छात्रों ने इसके खिलाफ सामूहिक प्रदर्शन की व्यवस्था की:
- खाद्यान्न, खाना पकाने के तेल,
- साथ ही अन्य आवश्यक उत्पादों की कीमतों में वृद्धि उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार।
जय प्रकाश नारायण की भूमिका:
- जयप्रकाश नारायण ने 25 जून, 1975 को एक विशाल प्रदर्शन में लोगों से अवैध और अनैतिक आदेशों का पालन न करने का आह्वान करते हुए इंदिरा गांधी के इस्तीफे के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। इन सभी ने कांग्रेस के खिलाफ देश के राजनीतिक मूड को बदल दिया।
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